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असम में भूमि बिक्री के नए नियम: अंतर-धार्मिक लेनदेन पर कड़ी निगरानी

नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |

असम में भूमि बिक्री के नए नियम: अंतर-धार्मिक लेनदेन पर कड़ी निगरानी, एनजीओ पर भी नजर

असम सरकार ने भूमि लेनदेन के लिए सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू कर दी है, जिसके तहत विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच जमीन की खरीद-बिक्री को अब “अंतर-धार्मिक लेनदेन” माना जाएगा और इसके लिए विस्तृत सत्यापन प्रक्रिया अनिवार्य होगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के बाद यह घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम राज्य की संवेदनशील सामाजिक संरचना और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है।

क्या हैं नए नियम?

नई SOP के तहत यदि कोई हिंदू किसी मुस्लिम को, कोई मुस्लिम किसी हिंदू को या फिर ईसाई, बौद्ध, जैन जैसे अन्य धर्मों के लोगों को जमीन बेचता है, तो यह सौदा सीधे स्वीकृत नहीं होगा।

  • आवेदन प्रक्रिया : जमीन बिक्री के लिए आवेदन सबसे पहले अंचल अधिकारी (Circle Officer) को जमा करना होगा।
  • प्रारंभिक जांच : अधिकारी द्वारा प्रारंभिक सत्यापन के बाद प्रस्ताव उपायुक्त (DC) के पास भेजा जाएगा।
  • धर्म आधारित भेद : यदि जमीन का लेनदेन एक ही धर्म के बीच हो, तो कोई अतिरिक्त जांच नहीं होगी। लेकिन यदि यह अंतर-धार्मिक है, तो विस्तृत जांच अनिवार्य होगी।
  • उच्चस्तरीय जांच : डीसी ऐसे मामलों को राज्य राजस्व विभाग के नोडल अधिकारी के पास भेजेंगे, जो फाइल को असम पुलिस की विशेष शाखा (Special Branch) को अग्रेषित करेगा।

 विशेष शाखा किन बिंदुओं पर करेगी जांच?

  1. भूमि स्वामित्व की वैधता और दस्तावेजों की प्रामाणिकता।
  2. खरीदार के धन के स्रोत की जांच, ताकि अवैध या काले धन के उपयोग की संभावना खत्म हो सके।
  3. सौदे का स्थानीय सामाजिक ताने-बाने पर प्रभाव।
  4. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी संभावित खतरे का आकलन।

विशेष शाखा की रिपोर्ट के आधार पर डीसी यह अंतिम निर्णय देंगे कि सौदे को मंजूरी दी जाए या नहीं। मंजूरी मिलने के बाद ही जमीन नए मालिक के नाम पर स्थानांतरित होगी।

एनजीओ पर भी सख्ती

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि असम के बाहर के गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को राज्य में जमीन खरीदने के लिए इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि बाहरी एनजीओ द्वारा जमीन खरीदकर संस्थान स्थापित करने की घटनाओं को गंभीरता से देखा जा रहा है, क्योंकि ये भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं। हालांकि, असम में पहले से पंजीकृत एनजीओ को इन अतिरिक्त जांचों से छूट दी जाएगी।

क्यों उठाया गया यह कदम?

सीएम सरमा ने कहा कि असम जैसे संवेदनशील राज्य में दो धार्मिक समूहों के बीच भूमि हस्तांतरण के मामलों को सावधानी से संभालने की जरूरत है। कई बार जमीन के सौदे का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों या जनसंख्या संतुलन को प्रभावित करने के लिए भी किया जा सकता है। सरकार का मानना है कि इस नई SOP से ऐसे प्रयासों पर रोक लगेगी और राज्य में सामाजिक सामंजस्य एवं सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलेगी।

असम सरकार की यह नई SOP भूमि लेनदेन को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव है। अब अंतर-धार्मिक सौदों पर कई स्तर की जांच होगी, और एनजीओ की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाएगी। यह कदम राज्य में पारदर्शिता बढ़ाने, भूमि विवाद कम करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है।