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अहमदाबाद का WDFC कंट्रोल रूम, रेलवे के 3000 मिलियन टन फ्रेट लक्ष्य को दे रहा गति

नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

नेटवर्क का हृदय: अहमदाबाद के डब्ल्यूडीएफसी कंट्रोल रूम में झांकिए, जो रेलवे के 3000 मिलियन टन फ्रेट लक्ष्य को गति दे रहा है...

अहमदाबाद: भारतीय रेलवे का वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) अब एशिया के सबसे उन्नत रेलवे ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) के साथ एक नया दौर शुरू करने जा रहा है, जो देश के माल ढुलाई क्रांति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा कर रहा है। 3.07 एकड़ क्षेत्र में फैला यह केंद्र, जो 2843 किलोमीटर लंबे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का एक प्रमुख हिस्सा है, हर संपत्ति को मैप करके माल की सहज आवाजाही सुनिश्चित कर रहा है। 2030 तक 3000 मिलियन टन फ्रेट लोडिंग का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अब इस हाई-टेक कंट्रोल रूम से हकीकत बनने की राह पर है, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस सिस्टम से ट्रेनों की औसत गति 25 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटे करने का सपना साकार हो रहा है।

एशिया का सबसे बड़ा रेल कमांड सेंटर: स्पेस स्टेशन जैसा दृश्य

अहमदाबाद के सबरमती में स्थित यह ओसीसी 12,867 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है, जहां 72 मीटर लंबी घुमावदार पैनोरमिक वीडियो वॉल एशिया की सबसे बड़ी है। लाल, नीले, पीले और हरे रंग की सैकड़ों लाइनें इस वॉल पर चमकती हैं, जो स्पेस स्टेशन के मिशन कंट्रोल रूम जैसी नजर आती है। 1,480 वर्ग मीटर के कंट्रोल रूम में दो वॉर रूम और एक डिजास्टर मैनेजमेंट रूम भी हैं, जो आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करते हैं। यह केंद्र उत्तर प्रदेश के दादरी से महाराष्ट्र के मुंबई (जेएनपीटी) तक फैले 1,506 किलोमीटर लंबे डब्ल्यूडीएफसी का संचालन केंद्र है, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरता है।

यह कॉरिडोर भारत के औद्योगिक क्लस्टरों को प्रमुख पश्चिमी बंदरगाहों से जोड़ता है। वर्तमान में 93.2 प्रतिशत पूरा हो चुका यह कॉरिडोर डबल-स्टैक कंटेनर सेवाओं, सीमेंट और क्लिंकर ट्रेनों, पावर प्लांट्स के लिए कोयला रेक, ट्रक्स ऑन ट्रेन सेवाओं और पार्सल ट्रैफिक को संभाल रहा है। कमीशंड सेक्शनों पर औसतन 180 फ्रेट ट्रेनें प्रतिदिन चल रही हैं, जो पैसेंजर रूट्स को डीकंजेस्ट करने, सड़क माल ढुलाई कम करने और मोडल शिफ्ट को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। डीएफसीसीआईएल के चीफ जनरल मैनेजर मनीष अवस्थी कहते हैं, "पूर्ण कमीशंड होने पर डब्ल्यूडीएफसी लॉजिस्टिक्स लागत घटाएगा, फ्रेट ट्रांजिट टाइम कम करेगा और भारत की निर्यात-आयात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाएगा।"

उन्नत सुरक्षा तकनीक: डिरेलमेंट का खतरा टालने वाली सतर्क नजर

ओसीसी में रीयल-टाइम मॉनिटरिंग के लिए हॉट एक्सल बॉक्स डिटेक्टर (एचएबीडी) जैसे सिस्टम लगाए गए हैं, जो इंफ्रारेड सेंसर से एक्सल बॉक्स के तापमान की निगरानी करते हैं। अगर एक्सल के दोनों तरफ तापमान में 25 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा अंतर हो या कुल तापमान 82 डिग्री से ऊपर जाए, तो तुरंत अलार्म बज जाता है। जूनियर इंजीनियर राहुल सपरे ने हाल ही में न्यू वरेदिया-न्यू मकारपुरा सेक्शन में 72 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर रही फ्रेट ट्रेन के एक वैगन के एक्सल बॉक्स में हीटिंग का पता लगाया। एचएबीडी ने अलार्म साउंड किया, जिससे ट्रेन को स्टेशन पर रोका गया और ब्रेक बाइंडिंग की समस्या ठीक कर ली गई, जिससे संभावित डिरेलमेंट टल गया।

सपरे बताते हैं, "यह केंद्र 1,506 किलोमीटर नेटवर्क का हृदय है। हम 150 से ज्यादा जोड़ी ट्रेनों की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं।" अगस्त 2024 में 495 अलार्म्स आए, जिनमें से 490 पर फीडबैक लिया गया। इसमें 129 ब्रेक बाइंडिंग, 320 एचटीएनएडी और 8 हॉट एक्सल केस थे। डब्ल्यूडीएफसी पर कुल 80 एचएबीडी इंस्टॉल हैं, प्रत्येक की कीमत करीब 6 लाख रुपये। एक्सल काउंटर सिग्नल्स के बीच लगे हैं, जो हर एक्सल की गिनती करते हैं। अगर कोई गड़बड़ी हो, तो अगला सिग्नल लाल हो जाता है। एडिशनल जनरल मैनेजर जितेंद्र कुमार अग्रवाल कहते हैं, "ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने से डिरेलमेंट का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन ये सिस्टम सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।"

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और एआई का जादू: तेज और सुरक्षित माल ढुलाई

ओसीसी में ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस), जीएसएम-आर कम्युनिकेशन और एससीएडीए सिस्टम से ट्रैक्शन पावर का केंद्रीकृत नियंत्रण होता है। सभी स्टेशनों और डिविजनल हेडक्वार्टर्स से ड्यूल रिडंडेंट ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) कनेक्शन हैं। लोको पायलट्स और स्टेशन मास्टर्स से जीएसएम-आर के जरिए संचार होता है। अब एआई से प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस सिस्टम आ रहा है, जो ट्रेनों में खराबी का पूर्वानुमान लगाएगा। भारतीय रेलवे ने डीएफसीसीआईएल के साथ एमओयू साइन किया है, जिसमें मशीन विजन-बेस्ड इंस्पेक्शन सिस्टम (एमवीआईएस) एआई और मशीन लर्निंग से चलती ट्रेनों में अनियमितताएं पकड़ेगा।

अवस्थी कहते हैं, "ओसीसी से हम कंजेशन, ट्रेन स्पीड, रोलिंग स्टॉक हेल्थ, इलेक्ट्रिक लाइन्स सब मॉनिटर करते हैं। इससे औसत स्पीड 50-55 किलोमीटर प्रति घंटे हो गई है और ट्रांजिट टाइम 50 प्रतिशत कम हुआ है।" डीएफसी अब रेलवे के कुल ग्रॉस टन-किलोमीटर फ्रेट का 13 प्रतिशत संभाल रहा है। यह कॉरिडोर पलांपुर, मेहसाणा, सानंद, वडोदरा, जामनगर जैसे क्षेत्रों के उद्योगों को फायदा पहुंचा रहा है, जहां डबल-स्टैक कंटेनर से 1.5-2 राउंड ट्रिप्स संभव हो गए हैं।

 मिशन 3000 की ओर प्रगति: रिकॉर्ड लोडिंग और चुनौतियां

2025 तक कुल 2,843 किलोमीटर डीएफसी नेटवर्क का 96.4 प्रतिशत कमीशंड हो चुका है। ईडीएफसी (लुधियाना-सोननगर, 1,337 किलोमीटर) पूरी तरह चालू है, जबकि डब्ल्यूडीएफसी का आखिरी 102 किलोमीटर वैंतarna-जेएनपीटी स्ट्रेच दिसंबर 2025 तक पूरा होगा। 2005-06 के रेल बजट में घोषित यह प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण, अप्रूवल प्रक्रिया जैसी चुनौतियों से विलंबित हुआ, लेकिन अब नौ राज्यों और 72 जिलों से गुजरने वाला यह नेटवर्क तैयार है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में रेलवे ने 1,617 मिलियन टन फ्रेट लोडिंग का रिकॉर्ड बनाया, जो दुनिया के टॉप तीन फ्रेट कैरियर में शामिल होने का संकेत है। कोयला 50 प्रतिशत से ज्यादा शेयर के साथ लीड कर रहा है। लेकिन 2030 तक 3,000 एमटी का लक्ष्य हासिल करने के लिए 16.2 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर चाहिए, जबकि पिछले दशक में औसत 4.1 प्रतिशत रही। अप्रैल-अगस्त 2025 में 673.64 एमटी लोडिंग हुई, जो पिछले साल के 653.22 एमटी से ज्यादा है। अगस्त 2025 में 8.5 प्रतिशत वृद्धि के साथ 130.9 एमटी लोडिंग हुई, फ्रेट कमाई 14,100 करोड़ रुपये पहुंची।

 भारत की लॉजिस्टिक्स पर रणनीतिक प्रभाव: सस्टेनेबल फ्रेट का नया युग

यह कॉरिडोर सड़क माल ढुलाई पर निर्भरता कम करके लॉजिस्टिक्स लागत घटा रहा है और 2030-31 तक रेलवे को फ्रेट ट्रांसपोर्ट में 45 प्रतिशत मोडल शेयर का लक्ष्य दे रहा है। फ्रेट ट्रांसपोर्ट से जुड़े कार्बन एमिशन में 75 प्रतिशत कमी आ चुकी है। अवस्थी जोर देते हैं, "अहमदाबाद ओसीसी डब्ल्यूडीएफसी का दिल है। यहां से हम लंबी, तेज ट्रेनें चलाते हैं, डबल-स्टैक कंटेनर संभालते हैं और पोर्ट्स को इंडस्ट्रियल हब्स से जोड़ते हैं।" 2005-06 में शुरू हुई डीएफसीसीआईएल अब निर्माण, संचालन और मेंटेनेंस का जिम्मा संभाल रही है।

राहुल सपरे जैसे ऑपरेटर्स 72 मीटर वॉल पर हर ट्रेन मूवमेंट मॉनिटर करते हुए न सिर्फ फ्रेट ट्रैफिक संभाल रहे हैं, बल्कि भारत की आर्थिक परिवर्तन को लॉजिस्टिक्स दक्षता और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट से गति दे रहे हैं। आठ घंटे के शिफ्ट में 10-12 अलार्म्स आने पर भी कोई हल्के में नहीं लिया जाता, क्योंकि एक छोटी सी गड़बड़ी बड़ा हादसा बन सकती है। यह केंद्र भारत की फ्रेट इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।