विदेश डेस्क, ऋषि राज |
इजरायल सेना ने बुधवार को दावा किया है कि मंगलवार को हमास द्वारा युद्धविराम समझौते के अंतर्गत लौटाए गए चार शवों में से एक शव किसी भी बंधक का नहीं है। सेना ने बताया कि रात भर चली फोरेंसिक जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला कि उस शव का डीएनए किसी भी बंधक से मेल नहीं खाता।
इस आरोप ने युद्धविराम की संवेदनशील स्थिति को और जटिल बना दिया है, क्योंकि इजरायल हमास से इस रिहाई प्रक्रिया की शर्तों का पालन करने की मांग कर रहा है।
रिहाई की प्रक्रिया:
अमेरिकी मध्यस्थता में हस्ताक्षरित युद्धविराम समझौते के तहत, हमास ने 20 जीवित बंधकों को रिहा किया है और अब तक 8 शवों की रिहाई की है, जिनमें 6 इजरायली, 1 नेपाली और 1 अज्ञात व्यक्ति शामिल थे।
इजरायल की ओर से कहा गया है कि अब तक 28 मृत बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करनी थी। यदि सभी शव रिहा नहीं किए गए, तो हमास को शेष शवों की जानकारी साझा करनी चाहिए और जल्द से जल्द उन्हें लौटा देना चाहिए।
हमास का जवाब और इजरायल का रुख
हमास प्रवक्ता हाजेम कासेम ने कहा है कि संगठन युद्धविराम समझौते के अनुरूप शवों की रिहाई पर काम कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायल ने मंगलवार को पूर्वी गाजा सिटी और रफ़ा में “गोलीबारी” करके संघर्ष विराम उल्लंघन किया।
इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज़ ने चेतावनी दी है कि यदि कोई भी व्यक्ति सीमाओं के पास आया, तो उसे निशाना बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सेना केवल तय किए गए सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास को युद्धविराम की शर्तों का पालन करना होगा और “हम आखिरी मृत बंधक लौटाए जाने तक शांत नहीं बैठेंगे”।
फोरेंसिक जांच और पहचान
इजरायली सेना ने बताया कि जिन चार शवों को हमास ने सौंपा था, उनमें से तीन की पहचान तमिर निमरोदी, उरीएल बारुच, और एतान लेवी के रूप में की गई।
लेकिन चौथे शव की पहचान किसी बंधक से नहीं हो पाई। डीएनए परीक्षण और फोरेंसिक विश्लेषण ने यह पुष्टि की कि यह शव किसी भी ज्ञात बंधक से मेल नहीं खाता।
हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह शव किसका है — इजरायली सेना इस बात की जांच कर रही है कि वह संभवतः एक फलस्तीन नागरिक या अन्य व्यक्ति हो सकता है।
समझौते पर दबाव और शांति प्रक्रिया खतरे में
इस गलती की पहचान ने युद्धविराम समझौते को गहरा संकट में डाल दिया है। इजरायल हमास पर दबाव बढ़ा रहा है कि वह शेष मृत बंधकों को तत्काल लौटाए। इस बीच, समझौते की विश्वसनीयता और दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
समझौते के अनुसार, यदि हमास सभी बंधकों के शव समय पर नहीं लौटा पाए, तो उन्हें जानकारी साझा करने और बचे शवों को जल्द लौटाने का रास्ता अपनाना था। इस तरह की गड़बड़ी ने इस व्यवस्था पर भारी दबाव डाला है।
इजरायली सेना का यह दावा कि एक लौटाया गया शव किसी बंधक का नहीं है, इस युद्धविराम और बंधक-विनिमय प्रक्रिया को और संवेदनशील बना देता है। इस बीच, हमास से उम्मीद की जा रही है कि वह इस दोष को सुधारते हुए शेष मृत बंधकों की पहचान और रिहाई सुनिश्चित करेगा। इस कार्रवाई की विफलता दोनों पक्षों के बीच विश्वास को और कमजोर कर सकती है।







