इज़रायल ने गाज़ा जा रहे राहत पोत को इंटरसेप्ट किया, ग्रेटा थनबर्ग समेत 12 कार्यकर्ता हिरासत में — मैडलीन को बताया ‘सेल्फी याट’

ऋषि राज |
इज़रायली सेना ने सोमवार को गाज़ा पट्टी की ओर जा रहे "मैडलीन" नामक राहत पोत को अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में इंटरसेप्ट कर कब्ज़े में ले लिया। इस जहाज़ पर विश्व प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग समेत 12 सामाजिक कार्यकर्ता सवार थे। ये जहाज़ "फ्रीडम फ्लोटिला कोएलिशन" की पहल पर गाज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने और इज़रायल की नाकाबंदी का विरोध करने के लिए रवाना हुआ था।
क्या है मामला?
मैडलीन जहाज़ इटली के सिसिली से रवाना हुआ था और गाज़ा के लिए राहत सामग्री लेकर जा रहा था।
इसमें बेबी फॉर्मूला, खाद्य सामग्री और दवाएं शामिल थीं।
इस पर सवार कार्यकर्ताओं का कहना है कि गाज़ा में भूखमरी और मानवीय संकट को देखते हुए वे सहायता पहुंचाना चाहते थे।
लेकिन इज़रायली सेना ने इसे “अवैध और प्रचार उद्देश्य से प्रेरित अभियान” बताया।
ग्रेटा थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं की भूमिका
ग्रेटा थनबर्ग ने एक प्री-रिकॉर्डेड वीडियो संदेश में कहा:
"मैं अपने मित्रों और सरकार से अपील करती हूं कि मुझे और मेरे साथियों को जल्द रिहा कराने के लिए दबाव डालें।”
उनके साथ फ्रांसीसी यूरोपीय सांसद रीमा हसन, और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
रीमा हसन पहले से ही इज़रायल में प्रवेश करने से प्रतिबंधित हैं।
क्या हुआ इंटरसेप्शन के दौरान?
रिपोर्ट्स के अनुसार:
- इज़रायली कमांडो बलों ने अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में पोत को रोका।
- जहाज़ के कम्युनिकेशन सिस्टम पूरी तरह बंद कर दिए गए।
- कार्यकर्ताओं के मोबाइल फोन छीन लिए गए या समुद्र में फेंक दिए गए।
- जहाज़ पर सवार सभी लोगों को ऑरेंज लाइफ जैकेट पहनाकर हिरासत में ले लिया गया।
- जहाज़ पर रसायन गिराने का आरोप
इंटरनेशनल सॉलिडेरिटी मूवमेंट के सह-संस्थापक हुवैदा अराफ ने बताया:
“हमारे सहकर्मियों ने बताया कि जहाज़ पर सफेद रसायन गिराया गया जिससे आंखों में जलन होने लगी।”
“ड्रोन के माध्यम से यह रसायन गिराया गया था, और उसके तुरंत बाद हम उनका संपर्क खो बैठे।”
इज़रायल की प्रतिक्रिया
इज़रायली विदेश मंत्रालय ने इस अभियान को “मीडिया स्टंट” करार दिया।
बयान में कहा गया:
"यह 'सेल्फी याट' केवल प्रचार पाने की कोशिश है। इस पर गाज़ा के लिए कोई विशेष सहायता नहीं थी।"
मंत्रालय ने दावा किया कि:
गाज़ा में पर्याप्त मानवीय सहायता पहले से ही विभिन्न वैध मार्गों से पहुंचाई जा रही है।
यह जहाज़ सिर्फ “एक ट्रक से भी कम सहायता सामग्री” लेकर जा रहा था।
जहाज़ को कहाँ ले जाया गया?
इज़रायली अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मैडलीन को अशदोद बंदरगाह पर ले जाया गया है।
वहां सभी कार्यकर्ताओं को प्रसंस्करण के बाद उनके मूल देशों में भेजने की तैयारी की जा रही है।
गाज़ा में हालात और इज़रायल-हमास टकराव
इस घटनाक्रम के एक दिन पहले गाज़ा के हमास-नियंत्रित मंत्रालय ने दावा किया कि:
इज़रायली सेना और अमेरिकी सुरक्षा ठेकेदारों की गोलीबारी में कम से कम 13 फिलिस्तीनी मारे गए और 150 से अधिक घायल हुए।
गाज़ा समुद्री क्षेत्र को इज़रायली सेना ने "एक सक्रिय संघर्ष क्षेत्र" घोषित किया है।
इज़रायल का कहना है कि:
यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कानूनी नौसैनिक नाकाबंदी के अंतर्गत आता है।
बिना अनुमति प्रवेश करने वाले जहाज़ों को रोकने का पूरा अधिकार है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
फिलहाल स्वीडन, फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है।
मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया आ सकती है।
यह घटना इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे लंबे संघर्ष और गाज़ा पट्टी में मानवीय संकट की गंभीरता को फिर उजागर करती है।
जहाँ एक ओर कार्यकर्ता राहत पहुंचाने और अंतरराष्ट्रीय चेतना जगाने का दावा कर रहे हैं, वहीं इज़रायल इसे सुरक्षा और प्रचार के टकराव के रूप में देख रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह घटना किसी बड़े कूटनीतिक दबाव या नीतिगत परिवर्तन की ओर ले जाएगी।