मुस्कान कुमारी, नेशनल डेस्क
'बहुबली' रॉकेट पर सवार होकर जीटीओ पहुंचेगा 4,410 किलो का सीएमएस-03, श्रीहरिकोटा से शाम 5:26 बजे होगा उड़ान
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज (2 नवंबर, 2025) अपने सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 को भारतीय रॉकेट से लॉन्च करने जा रहा है। यह 4,410 किलोग्राम वजनी उपग्रह भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में पहुंचेगा, और इसके लिए इसरो के हैवी-लिफ्ट रॉकेट एलवीएम3-एम5 का इस्तेमाल किया जाएगा। इसरो अधिकारियों ने बताया कि काउंटडाउन सुचारू रूप से चल रहा है, और लॉन्च शाम 5:26 बजे होगा।
यह इसरो का अब तक का सबसे भारी उपग्रह है, जिसे भारतीय धरती से और घरेलू रॉकेट से जीटीओ में भेजा जा रहा है। पहले इसरो 4,000 किलोग्राम से ज्यादा वजनी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए फ्रांस की कंपनी एरियनस्पेस की मदद लेता था, जो फ्रेंच गयाना से लॉन्च होते थे। उदाहरण के लिए, जीसैट-11 उपग्रह, जो 5,854 किलोग्राम का था, को 2018 में एरियन-5 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। लेकिन अब एलवीएम3 के साथ इसरो पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया है।
रॉकेट की ताकत: 'बहुबली' की पांचवीं उड़ान
43.5 मीटर ऊंचा एलवीएम3-एम5 रॉकेट, जिसे इसकी भारी उठान क्षमता के लिए 'बहुबली' कहा जाता है, इस मिशन का मुख्य आकर्षण है। इसरो ने बताया कि रॉकेट को उपग्रह के साथ पूरी तरह असेंबल कर लिया गया है और इसे दूसरे लॉन्च पैड पर ले जाया गया है, जहां प्री-लॉन्च गतिविधियां चल रही हैं। यह एलवीएम3 की पांचवीं ऑपरेशनल उड़ान है।
रॉकेट में तीन स्टेज हैं: दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप-ऑन (एस200), एक लिक्विड प्रोपेलेंट कोर स्टेज (एल110) और एक क्रायोजेनिक स्टेज (सी25)। यह जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक के उपग्रह और लो अर्थ ऑर्बिट में 8,000 किलोग्राम तक के पेलोड ले जा सकता है। एस200 बूस्टर्स विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम में विकसित किए गए हैं, जबकि एल110 स्टेज में दो विकास इंजन हैं, जो लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर में बनाए गए हैं।
इसरो ने सोशल मीडिया पर अपडेट देते हुए कहा, "एलवीएम3एम5 के लिए लॉन्च डे। भारत का हैवी-लिफ्ट रॉकेट आज सीएमएस03 को लॉन्च करेगा।" शनिवार शाम 5:26 बजे शुरू हुआ 24 घंटे का काउंटडाउन बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ रहा है।
उपग्रह की क्षमताएं: समुद्री क्षेत्रों में संचार सेवाएं
सीएमएस-03 एक मल्टी-बैंड संचार उपग्रह है, जो भारतीय भूमि और आसपास के विशाल समुद्री क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करेगा। हालांकि, कुछ दावों में इसे सैन्य निगरानी से जोड़ा जा रहा है, लेकिन इसरो की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह लॉन्च इसरो के लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि यह भारी उपग्रहों के लिए विदेशी सहायता से मुक्ति का प्रतीक है। एलवीएम3 को जीएसएलवी एमके III भी कहा जाता है। इस रॉकेट की पिछली सफल उड़ान चंद्रयान-3 मिशन थी, जिसमें भारत ने 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफल लैंडिंग की थी, और दुनिया का पहला देश बना था। बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय से अधिकारियों ने पुष्टि की कि सब कुछ योजना के मुताबिक है। लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) को भारी संचार उपग्रहों को किफायती तरीके से जीटीओ में पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है।
गगनयान से जुड़ी तैयारियां
इस बीच, इसरो प्रमुख ने हाल ही कहा कि गगनयान मिशन का 90 प्रतिशत विकास कार्य पूरा हो चुका है। बिरला साइंस सेंटर में गगनयान लॉन्च व्हीकल का 65 फुट ऊंचा मॉडल भी अनावरण किया गया है। यह लॉन्च इसरो की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है, जो अब घरेलू तकनीक पर निर्भर हो रहा है।







