
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
ईरान ने 'नई पद्धति' को सराहा, तेल अवीव और हाइफा पर मिसाइल हमला
ईरान और इज़रायल के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया जब रविवार रात ईरान ने इज़रायल के दो प्रमुख शहरों – तेल अवीव और हाइफा – पर बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया। इस हमले के बाद मध्य पूर्व की राजनीति में भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। ईरान ने इस हमले को "नई सैन्य पद्धति" बताया है और इसे "रणनीतिक सफलता" करार दिया है।
ईरान की इस कार्रवाई में दर्जनों ड्रोन और मिसाइलों का प्रयोग हुआ।
तेल अवीव के मध्य क्षेत्र में मिसाइल गिरने की पुष्टि हुई, जिससे एक आवासीय इमारत ढह गई और कई लोग घायल हुए।
हाइफा में समुद्री बंदरगाह के पास एक पेट्रोलियम डिपो को निशाना बनाया गया, जिससे भारी आग लग गई।
इज़रायली सेना ने भी पुष्टि की है कि उन्होंने ईरानी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने की कोशिश की, लेकिन कुछ मिसाइलें सुरक्षा कवच को पार कर गईं और नुकसान पहुंचाया।
ईरान का दावा –
ईरानी रक्षा मंत्रालय ने कहा:
"हमने इस बार पारंपरिक मिसाइल पद्धति से अलग तकनीक अपनाई है। यह हमला न केवल हमारी सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हम दुश्मन की सुरक्षा प्रणाली को कैसे भेद सकते हैं।"
इज़रायल की प्रतिक्रिया
इज़रायल के प्रधानमंत्री ने आपातकालीन बैठक बुलाई और कहा
"ईरान का यह हमला हमारे खिलाफ युद्ध की घोषणा है। हम इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। हमारी सैन्य शक्ति और खुफिया एजेंसियां अलर्ट पर हैं।"
इज़रायल के रक्षा मंत्री ने कहा कि देश ने "आक्रामक प्रतिशोध" की योजना बना ली है, और अगले 48 घंटे बेहद अहम होंगे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका ने हमले की निंदा की और इज़रायल के साथ "पूर्ण समर्थन" जताया।
संयुक्त राष्ट्र ने संयम बरतने की अपील की और तत्काल संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा।
रूस और चीन ने स्थिति पर "गंभीर चिंता" जताई लेकिन दोनों देशों ने हमले की स्पष्ट निंदा नहीं की।
यह हमला तब हुआ जब:
पिछले महीने इज़रायल ने सीरिया में ईरान समर्थित ठिकानों पर हवाई हमला किया था। दोनों देशों के बीच पिछले कई वर्षों से परोक्ष युद्ध चलता रहा है, खासकर साइबर और प्रॉक्सी युद्ध के रूप में।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला एक "टर्निंग पॉइंट" हो सकता है। अगर इज़रायल खुला युद्ध छेड़ता है, तो पूरी मध्य पूर्व क्षेत्र में संघर्ष भड़क सकता है। तेल कीमतों, वैश्विक कूटनीति और शरणार्थी संकट पर भी असर पड़ने की आशंका है।
ईरान द्वारा अपनाई गई नई पद्धति और खुला हमला इस बात का संकेत है कि मध्य पूर्व में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। अब दुनिया की निगाहें इज़रायल की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या यह युद्ध का बिगुल होगा या कूटनीतिक दबाव के जरिए मामला शांत होगा – यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो पाएगा।