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उत्तराखंड पर्यटन घोटाला: बाबा रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण की कंपनियों का खेल

नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

उत्तराखंड पर्यटन घोटाला: बाबा रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण की कंपनियों का खेल, तीनों बिडिंग फर्में उन्हीं के प्रभाव में!

देहरादून: उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (UTDB) द्वारा मसूरी के नजदीक जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट पर एडवेंचर टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिए दिसंबर 2022 में निकाले गए टेंडर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। जांच से पता चला है कि बोली लगाने वाली तीनों कंपनियां आचार्य बालकृष्ण के अधीन थीं जो पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक और बाबा रामदेव के विश्वासपात्र सहयोगी हैं। प्रोजेक्ट अंततः राजस एयरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला, जिसमें बालकृष्ण की ही हिस्सेदारी थी। इस खुलासे ने सरकारी टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

टेंडर में सांठगांठ का खेल? तीन कंपनियां, मालिक एक!

दिसंबर 2022 में जारी टेंडर के तहत जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट में 142 एकड़ में एडवेंचर टूरिज्म की सुविधाएं विकसित करनी थीं—जिसमें हेलीपैड, म्यूजियम, कैफे और वुडन हट्स शामिल थे। शर्त यह थी कि विजेता कंपनी को सरकार को हर साल केवल 1 करोड़ रुपये देना होगा, जिसे प्रतिवर्ष 3% बढ़ाया जाना था। परन्तु बोली में भाग लेने वाली तीनों कंपनियां—प्रकृति ऑर्गेनिक्स इंडिया, भारूवा एग्री साइंस और राजस एयरोस्पोर्ट्स—बालकृष्ण के प्रभाव में पाई गईं।

ROC रिकॉर्ड्स के अनुसार, प्रकृति ऑर्गेनिक्स में बालकृष्ण की हिस्सेदारी 99.85%, भारूवा एग्री साइंस में 99.98% और राजस एयरोस्पोर्ट्स में 25.01% थी, जो जुलाई 2023 तक बढ़कर 69.43% हो गई। अक्टूबर 2023 में प्रकृति और भारूवा ने मिलकर राजस में 17.43% हिस्सेदारी हासिल की, वहीं बालकृष्ण की अन्य कंपनियों—भारूवा एग्रो सॉल्यूशन, भारूवा सॉल्यूशंस, फिट इंडिया ऑर्गेनिक और पतंजलि रेवोल्यूशन—ने मिलकर 33.25% शेयर खरीदे।

टेंडर दस्तावेज़ों में स्पष्ट उल्लेख था कि बोलीदाता सांठगांठ से दूर रहेंगे और अगर ऐसा पाया गया तो अनुबंध रद्द किया जाएगा। बावजूद इसके, सरकार ने इस प्रक्रिया को “पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली” बताकर बचाव किया।

प्रोजेक्ट से कंपनी की किस्मत चमकी, 8 गुना बढ़ी कमाई

यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड पर्यटन का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा था। नवंबर 2024 तक यहां 2.2 लाख पर्यटक पहुंचे, जिनमें से 3,402 ने हेलीकॉप्टर सेवा का इस्तेमाल किया। राजस एयरोस्पोर्ट्स को भले ही सालाना सिर्फ 1 करोड़ रुपये (जीएसटी छोड़कर) देना पड़ा, लेकिन कंपनी की आय में जबरदस्त उछाल आया। कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि टेंडर मिलने के एक साल के भीतर इसका टर्नओवर 1.17 करोड़ रुपये से बढ़कर 9.82 करोड़ रुपये हो गया।

राजस एयरोस्पोर्ट्स 2013 में गाजियाबाद के मयंक और मनीष सैनी ने शुरू की थी। बालकृष्ण 2018 में शेयरहोल्डर बने और टेंडर के बाद उनकी पकड़ और मजबूत हो गई। वर्तमान में कंपनी में मनीष सैनी (20.68%) और सोम सुवेदी (5.58%) निदेशक हैं। कंपनी का दावा है कि निवेशकों की पैसिव हिस्सेदारी को सांठगांठ से जोड़ना भ्रामक है और राजस का पतंजलि से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।

सरकारी सौदों में पतंजलि कनेक्शन

आचार्य बालकृष्ण पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक हैं, जिसकी कीमत 6,199 करोड़ रुपये आंकी जाती है। पहले भी पतंजलि का नाम कई सरकारी प्रोजेक्ट्स से जुड़कर विवादों में आया है। जॉर्ज एवरेस्ट प्रोजेक्ट में साफ दिखता है कि बालकृष्ण से जुड़ी कंपनियों ने आपस में प्रतिस्पर्धा दिखाकर टेंडर जीता।

अक्टूबर 2023 तक राजस में दर्ज छह कंपनियों में पांच बालकृष्ण से जुड़ी थीं, जबकि जनवरी 2024 में भारूवा सॉल्यूशंस भी जुड़ गई। कंपनी अधिनियम की धारा 88 के तहत इनका रजिस्टर में होना आवश्यक था, और बालकृष्ण इनमें बहुमत हिस्सेदारी रखते हैं।

राजनीतिक बवाल और पारदर्शिता पर सवाल

यह मामला अब सार्वजनिक बहस और राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। विपक्षी दल सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठा रहे हैं। पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रोजेक्ट राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन अगर प्रक्रिया में गड़बड़ी हो तो जनता का भरोसा टूटता है।

उत्तराखंड सरकार पिछले कुछ वर्षों से एडवेंचर टूरिज्म पर खास ध्यान दे रही है, खासकर कैलाश मानसरोवर यात्रा बाधित होने के बाद। राजस को ‘ब्रेकफास्ट इन द क्लाउड्स’ और जायरोकॉप्टर राइड्स जैसे आकर्षक प्रोजेक्ट्स भी मिले हैं। लेकिन अब यह घोटाला राज्य की पर्यटन नीति और सरकारी प्रक्रियाओं पर गहरी छाया डाल रहा है।