
नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |
कांग्रेस का पीएम मोदी पर हमला: “चीन को आतंकवाद पीड़ित बताना राष्ट्रहित के खिलाफ, यह ड्रैगन के आगे झुकना है”
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया बयान को कड़ा आड़े हाथों लिया है, जिसमें उन्होंने चीन को भारत की तरह आतंकवाद से पीड़ित देश बताया था। पार्टी का कहना है कि यह बयान न केवल अनुचित है, बल्कि चीन के सामने “झुकने” जैसा है, जबकि बीजिंग लंबे समय से पाकिस्तान के आतंकवादियों को समर्थन देता आया है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने सोमवार को एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि तियानजिन में रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का चीन को आतंकवाद का शिकार बताना हैरान करने वाला है। “भारत लंबे समय से चीन पर आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरे मानदंड और दोहरी भाषा बोलने का आरोप लगाता रहा है। लेकिन अब प्रधानमंत्री खुद चीन को पीड़ित बताकर भारतीय हितों को कमजोर कर रहे हैं,” रमेश ने कहा।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी का यह रुख राष्ट्रहित के खिलाफ है और चीन की पुरानी नीति पर पर्दा डालने जैसा है। उन्होंने कहा, “अगर यह तथाकथित हाथी का तथाकथित ड्रैगन के आगे झुकना नहीं है, तो फिर क्या है?”
रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत पर एक शब्द क्यों नहीं कहा— जबकि इस साजिश का खुलासा भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से किया था। “प्रधानमंत्री ने इतने अहम मुद्दे पर चुप्पी साधी, यह राष्ट्र-विरोधी रवैया है,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस ने मोदी के 19 जून 2020 के उस बयान की भी याद दिलाई, जिसमें गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री ने कहा था कि “चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ नहीं की।” जयराम रमेश के अनुसार, यह बयान भी चीन को “क्लीन चिट” देने वाला था और अब 31 अगस्त 2025 का तियानजिन बयान “भारत के लिए बदनामी का दिन” बन गया है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री की चीन नीति लगातार सवालों के घेरे में रही है। पार्टी का आरोप है कि मोदी सरकार बीजिंग के साथ सीमा विवाद और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर बार-बार “नरमी” दिखाती रही है। “स्वघोषित 56 इंच सीने वाले नेता अब पूरी तरह से बेनकाब हो चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रहित के साथ विश्वासघात किया है,” रमेश ने कहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री का यह बयान भारत की पारंपरिक कूटनीतिक नीति से मेल नहीं खाता। भारत वर्षों से संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन पर पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए ‘ढाल’ उपलब्ध कराने का आरोप लगाता रहा है। ऐसे में मोदी का चीन को आतंकवाद का शिकार बताना भारतीय रुख को कमजोर करता है और बीजिंग के लिए “प्रचार जीत” की तरह देखा जा रहा है।
कांग्रेस के इस कड़े हमले के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि चीन के प्रति उसका वास्तविक रुख क्या है— क्या वह बीजिंग के आतंकवाद पर दोहरे रवैये का विरोध करती है, या अब उसे पीड़ित मानने लगी है।