
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
मुंबई: किराया चुकाने का सबसे सुविधाजनक तरीका अब इतिहास बन चुका है। प्रमुख फिनटेक ऐप्स जैसे फोनपे, पेटीएम और क्रेड ने क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान की सुविधा तुरंत बंद कर दी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की नई गाइडलाइन ने इस बदलाव को लागू कर दिया है, जिससे लाखों यूजर्स के लिए पुराने लाभ जैसे रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक का सफर थम गया। यह कदम डिजिटल पेमेंट सिस्टम में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम है, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए एक अप्रत्याशित झटका साबित हो रहा है।
आरबीआई का नया नियम: मर्चेंट KYC पर सख्ती
आरबीआई ने 15 सितंबर 2025 को "पेमेंट एग्रीगेटर मास्टर डायरेक्शन" जारी किया, जिसमें पेमेंट एग्रीगेटर्स को सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत कोई भी ऐप केवल उन मर्चेंट्स के लिए पेमेंट प्रोसेस कर सकता है, जिनके साथ उनका वैध अनुबंध हो और जिन्होंने पूरा KYC (नो योर कस्टमर) पूरा किया हो। अधिकांश मकान मालिक खुद को मर्चेंट के रूप में रजिस्टर नहीं करते, इसलिए उनके खातों में क्रेडिट कार्ड से सीधा भुगतान अब असंभव हो गया है। इस नियम ने फिनटेक कंपनियों को रातोंरात अपनी सेवाएं बदलने पर मजबूर कर दिया।
यह बदलाव क्रेडिट कार्ड को पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रांसफर के रूप में इस्तेमाल रोकने के उद्देश्य से आया है। पहले, यूजर्स आसानी से किराया क्रेडिट कार्ड से ऐप्स के जरिए भेज देते थे, लेकिन अब बिना उचित सत्यापन के ऐसा करना प्रतिबंधित है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम फर्जी लेन-देन और धोखाधड़ी को रोकने में मददगार साबित होगा।
क्यों बढ़ी चिंता? रिवॉर्ड्स का लालच और जोखिम
पिछले कुछ वर्षों में क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान का ट्रेंड तेजी से बढ़ा था। लोग न केवल सुविधा के लिए, बल्कि रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक और ईएमआई विकल्पों के आकर्षण में फंस गए थे। एक अनुमान के मुताबिक, मासिक किराया भुगतान में से 20-30 प्रतिशत इसी तरीके से हो रहा था, जो फिनटेक कंपनियों के लिए बड़ा राजस्व स्रोत बन चुका था। लेकिन आरबीआई को यह प्रवृत्ति खतरनाक लगी।
बैंकिंग नियामक की चिंता यह थी कि क्रेडिट कार्ड का यह इस्तेमाल मूल उद्देश्य से भटक रहा था। P2P ट्रांसफर में KYC प्रक्रिया का पालन न होने से पेमेंट सेफ्टी खतरे में पड़ रही थी। कई मामलों में, बिना सत्यापन के पैसे ट्रांसफर होने से वित्तीय अपराधों का खतरा बढ़ गया था। आरबीआई ने इसे "गलत इस्तेमाल" करार देते हुए तत्काल कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप फिनटेक ऐप्स ने अपनी पॉलिसी अपडेट कर ली।
उपभोक्ताओं पर सीधा असर: विकल्प सीमित, लाभ गायब
अब किराया चुकाने के लिए यूजर्स को यूपीआई, नेट बैंकिंग, आरटीजीएस/एनईएफटी या चेक जैसे पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहना पड़ेगा। क्रेडिट कार्ड के आकर्षक लाभ जैसे माइल्स, कैशबैक या कार्ड फ्लोट अब उपलब्ध नहीं होंगे, जिससे मासिक खर्चों का बोझ बढ़ सकता है। विशेष रूप से शहरी युवा वर्ग, जो इन ऐप्स पर निर्भर था, सबसे अधिक प्रभावित होगा।
फिनटेक कंपनियों के लिए भी यह झटका गहरा है। किराया भुगतान एक प्रमुख रेवेन्यू स्ट्रीम था, जहां ट्रांजेक्शन फीस से लाखों रुपये कमाए जाते थे। अब इन कंपनियों को नई रणनीतियां अपनानी पड़ेंगी, जैसे मर्चेंट ऑनबोर्डिंग को बढ़ावा देना। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इससे डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में शॉर्ट टर्म में मंदी आ सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह अधिक सुरक्षित बनेगा।
अपवाद की गुंजाइश: कुछ प्लेटफॉर्म्स पर राहत?
पूरी तरह बंदी के बीच कुछ अपवाद भी नजर आ रहे हैं। उदाहरण के लिए, वे सर्विसेज जहां मकान मालिक का पूरा KYC होता है और बीबीपीएस (बढ़ा भारत बिल पेमेंट सिस्टम) प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है, वहां प्रक्रिया जारी रह सकती है। हालांकि, आम फिनटेक ऐप्स पर यह सुविधा पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। यूजर्स को सलाह दी जा रही है कि वे ऐप्स की आधिकारिक घोषणाओं पर नजर रखें।
भविष्य की दिशा: पारदर्शिता पर जोर
आरबीआई के इस कदम से भारतीय डिजिटल पेमेंट सिस्टम में सुरक्षा और अनुपालन पर नया जोर पड़ेगा। बिना मकान मालिक को मर्चेंट की तरह पूरी तरह ऑनबोर्ड किए क्रेडिट कार्ड से किराया भुगतान की वापसी मुश्किल लग रही है। नियामक का उद्देश्य स्पष्ट है; वित्तीय लेन-देन को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना। लेकिन सवाल यह है कि क्या उपभोक्ता इस बदलाव को आसानी से स्वीकार कर पाएंगे?