
स्टेट डेस्क, प्रीति पायल |
गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार इलाके की गौर सिद्धार्थम हाउसिंग सोसाइटी ने अविवाहित किरायेदारों को फ्लैट देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इस निर्णय की घोषणा सोसाइटी के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगे बड़े पोस्टर्स के माध्यम से की गई है, जिनमें अंग्रेजी में स्पष्ट रूप से लिखा गया है "Bachelor Tenants Are Not Allowed"।
रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने यह कदम निम्नलिखित आधारों पर उठाया है:
- सुरक्षा संबंधी चिंताएं - विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर
- शोर-शराबे की समस्या - रात्रिकालीन पार्टियों और अनुशासनहीनता के कारण
- सोसाइटी के अन्य निवासियों की शिकायतें
RWA के नियमों के अनुसार किरायेदारों की उचित जांच की आवश्यकता
इस फैसले का सीधा असर स्थानीय किराया बाजार पर पड़ा है। दिल्ली-NCR में काम करने वाले युवा पेशेवर, विशेषकर IT सेक्टर के कर्मचारी, अब इस सोसाइटी में आवास खोजने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। मकान मालिक अब केवल पारिवारिक किरायेदारों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
मॉडल टेनेंसी एक्ट 2019 के अंतर्गत, यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) के संभावित उल्लंघन की श्रेणी में आ सकता है। यदि कोई प्रभावित व्यक्ति शिकायत दर्ज करता है, तो गाजियाबाद जिला प्रशासन या RERA द्वारा जांच की जा सकती है। सामाजिक मंचों पर इस मुद्दे पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग इसे लिंग-आधारित भेदभाव मानते हैं, जबकि अन्य इसे सोसाइटी के आंतरिक निर्णय का अधिकार बताते हैं। यह घटना शहरी भारत में बढ़ते आवास भेदभाव की समस्या को उजागर करती है।
RWA ने इस निर्णय को अस्थायी बताया है और कहा है कि निवासियों की प्रतिक्रिया के आधार पर इसकी समीक्षा की जाएगी। फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शिकायतें बढ़ने पर हस्तक्षेप की संभावना है। यह मामला आधुनिक जीवनशैली और पारंपरिक सामाजिक मूल्यों के बीच टकराव को दर्शाता है, जो आज के शहरी भारत की एक प्रमुख चुनौती है।