गोरखपुर विश्वविद्यालय में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर: अंकों में टेम्परिंग कर बढ़ाए गए नंबर
स्टेट डेस्क, श्रेया पांडेय |
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शैक्षणिक अभिलेखों की जांच में पाया कि बीए और बीएड के अंकों में टेम्परिंग कर अंक बढ़ाए गए हैं। यह फर्जीवाड़ा एक सहायक अध्यापिका के अभिलेखों की जांच के दौरान सामने आया, जिसे बाद में बर्खास्त कर दिया गया था।
जांच समिति ने पाया कि सहायक अध्यापिका प्रीती जायसवाल के बीए (वर्ष 1998, 1999, 2000) और बीएड (वर्ष 2001) के अभिलेखों में अंकों की हेराफेरी की गई थी। रिकॉर्ड में मनोविज्ञान विषय में क्रमशः 41, 06, 47 और 26 अंक दर्ज थे, जबकि अंकपत्र में इन्हें बढ़ाकर 62, 51, 57 और 34 अंक दिखाया गया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस संबंध में कैंट थाने में विश्वविद्यालय और सेंट एंड्रयूज कॉलेज के अभिलेख कार्यालय के अज्ञात कर्मियों पर केस दर्ज कराया है। साथ ही केस की विवेचना एसटीएफ से कराने की मांग की गई है। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक कुलदीप सिंह ने पुलिस को बताया कि पत्रांक 19 अक्तूबर 2025 के अनुसार, तत्कालीन कुलपति के टेम्परिंग कर अंक बढ़ाए गए हैं।
इस फर्जीवाड़े के उजागर होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। बर्खास्त सहायक अध्यापिका के अलावा, विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबंधित कॉलेज और विश्वविद्यालय दोनों स्तरों पर अलग-अलग विभागीय जांच कराने तथा प्राथमिकी दर्ज करने की संस्तुति की है।
यह मामला विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था और शैक्षणिक अभिलेखों की जांच पर सवाल खड़े करता है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।







