नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार ।
भारत के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने पहली बार चंद्रमा के बहिर्मंडल पर सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के प्रभावों का अवलोकन किया है। इस अध्ययन में चंद्रयान-2 पर लगे वैज्ञानिक उपकरण ‘चंद्रा का वायुमंडलीय संरचना अन्वेषक-2’ (CHACE-2) का उपयोग किया गया।
इसरो ने बताया कि सीएचएसीई-2 के आंकड़ों से स्पष्ट हुआ कि जब सीएमई ने चंद्रमा को प्रभावित किया, तो उसके सूर्य-प्रकाशित हिस्से के बहिर्मंडल (अत्यंत पतले वायुमंडल) के कुल दबाव में वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान वायुमंडल में मौजूद तटस्थ परमाणुओं और अणुओं की कुल संख्या घनत्व में एक से अधिक परिमाण की बढ़ोतरी देखी गई।
यह परिणाम पहले से मौजूद सैद्धांतिक मॉडलों के अनुरूप हैं, जिनमें ऐसे प्रभाव की संभावना जताई गई थी। हालांकि, चंद्रयान-2 के उपकरण ने पहली बार इस तरह का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से दर्ज किया है।
पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा अत्यंत पतले वायुमंडल वाला खगोलीय पिंड है, जिसे ‘बाह्यमंडल’ कहा जाता है। इस क्षेत्र में गैस के परमाणु और अणु बहुत कम परस्पर क्रिया करते हैं। चंद्रमा का बाह्यमंडल सौर विकिरण, सौर वायु और उल्कापिंडों के प्रभाव से बनता है, जिनसे सतह से परमाणु निकलकर वातावरण का हिस्सा बन जाते हैं।
सामान्य परिस्थितियों में भी चंद्रमा का बहिर्मंडल बहुत संवेदनशील होता है और सौर गतिविधियों में हल्के बदलावों से प्रभावित हो जाता है। सूर्य से निकलने वाला कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) ऐसा ही एक प्रमुख कारक है, जिसमें हाइड्रोजन और हीलियम आयनों का विशाल प्रवाह होता है।
चंद्रमा के पास न तो वायुमंडल है, न ही कोई वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र, जिससे वह सौर प्रभावों को रोक सके। इस कारण सीएमई की घटनाएँ उसके लिए अत्यंत प्रभावशाली होती हैं।
10 मई 2024 को सूर्य से सीएमई की एक श्रृंखला उत्सर्जित हुई, जिसने चंद्रमा की सतह पर प्रभाव डालते हुए वहाँ से परमाणुओं के निकलने की प्रक्रिया को तेज कर दिया। इसके परिणामस्वरूप चंद्रमा के सूर्यप्रकाशित बहिर्मंडल के कुल दबाव में वृद्धि दर्ज की गई।
यह खोज चंद्रमा के बाह्यमंडल और अंतरिक्ष मौसम के प्रभावों को समझने में वैज्ञानिकों को नई जानकारी प्रदान करेगी। इसरो के अनुसार, यह अध्ययन न केवल चंद्रमा और अंतरिक्ष मौसम की समझ को आगे बढ़ाता है, बल्कि भविष्य में चंद्रमा पर वैज्ञानिक आधार स्थापित करने की चुनौतियों को भी उजागर करता है, क्योंकि ऐसी घटनाएँ अस्थायी रूप से चंद्र वातावरण में परिवर्तन ला सकती हैं।







