जबरन धर्मांतरण पर एक्शन: 25 लाख जुर्माना, धर्म बदलने से 3 महीने पहले लेनी होगी अनुमति

राष्ट्रीय डेस्क, आर्या कुमारी |
राजस्थान में अब लालच, डर या दबाव से धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाओं पर बुलडोजर चलेगा। पहली बार बुलडोजर एक्शन को कानूनी रूप दिया जा रहा है। नए धर्मांतरण विरोधी बिल में गलत तरीके से धर्म बदलवाने वाली संस्थाओं की इमारतों को सील और तोड़ने का प्रावधान है।
'प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन बिल 2025' को विधानसभा में रखा गया है। मंगलवार को बहस के बाद इसे पारित किया जा सकता है। बुलडोजर तभी चलेगा जब संस्थान में नियमों का उल्लंघन या अतिक्रमण साबित होगा। स्थानीय निकाय और प्रशासन जांच के बाद ही कार्रवाई करेंगे।
बिल के अनुसार, अगर कहीं सामूहिक धर्मांतरण होता है तो उस संपत्ति को प्रशासन जब्त कर सकता है। जिस भवन में यह गतिविधि होगी, उसे तोड़ा जा सकेगा।
शादी और धर्मांतरण
शादी के उद्देश्य से किया गया धर्म परिवर्तन भी अपराध माना जाएगा। अगर कोई व्यक्ति झूठे वादे, बहलावे या दबाव में शादी करके धर्म बदलवाता है तो इसे लव जिहाद की श्रेणी में माना जाएगा। ऐसे मामलों में 20 साल तक की सजा होगी।
ऐसी शादी कोर्ट से शून्य घोषित होगी। अगर केवल धर्मांतरण के मकसद से विवाह किया गया है तो उसे रद्द माना जाएगा।
गैर-जमानती अपराध
जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़े सभी अपराध गैर-जमानती होंगे। बुलडोजर कार्रवाई से पहले नोटिस दिया जाएगा और अतिक्रमण होने पर 72 घंटे में कार्रवाई होगी।
घर वापसी पर छूट
बिल में यह भी प्रावधान है कि अपने पैतृक धर्म में लौटने (घर वापसी) को धर्मांतरण नहीं माना जाएगा।
सजा और जुर्माना
- अवैध धर्मांतरण पर 7 से 14 साल की सजा और 5 लाख जुर्माना।
- नाबालिग, महिला, दिव्यांग, एससी-एसटी का जबरन धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की सजा और 10 लाख जुर्माना।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 20 साल की सजा और 25 लाख जुर्माना।
- विदेशी या अवैध संस्थान से फंड लेने पर 10 से 20 साल की सजा और 20 लाख जुर्माना।
- बार-बार अपराध करने पर उम्रकैद।
धर्म परिवर्तन के लिए अनुमति जरूरी
अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलना चाहता है तो भी प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए 90 दिन पहले कलेक्टर या एडीएम को घोषणा देनी होगी।
धर्मांतरण कराने वाले धर्माचार्य को 2 माह पहले मजिस्ट्रेट को नोटिस देना होगा। इसके बाद यह सूचना नोटिस बोर्ड पर लगाई जाएगी और 2 महीने तक आपत्तियां मांगी जाएंगी। सुनवाई और निपटारे के बाद ही धर्म परिवर्तन की अनुमति मिलेगी।