
नेशनल डेस्क, ऋषि राज |
जम्मू-कश्मीर में सियासी हलचल: आप विधायक मेहराज मलिक ने उमर अब्दुल्ला सरकार से समर्थन वापस लिया
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला जब आम आदमी पार्टी (AAP) के एकमात्र विधायक मेहराज मलिक ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया। मेहराज मलिक का यह कदम राज्य की सियासत में नए समीकरण खड़ा कर सकता है, खासकर तब जब गठबंधन सरकार पहले से ही बहुमत के आंकड़े के आसपास खड़ी है।
क्या कहा मेहराज मलिक ने?
सोमवार सुबह आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेहराज मलिक ने कहा:
"मैं उमर अब्दुल्ला सरकार के कार्यों से पूरी तरह निराश हूं। जनता के मुद्दों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। चाहे बेरोजगारी हो, भ्रष्टाचार हो या युवाओं की आवाज—सरकार ने किसी भी क्षेत्र में जिम्मेदारी नहीं निभाई। इसलिए, मैं आज से सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं।"
सरकार पर संकट के बादल
उमर अब्दुल्ला की सरकार जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार के रूप में चल रही है। सरकार को बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत है। अभी नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 41 सीटें हैं और कुछ निर्दलीयों व सहयोगी दलों के समर्थन से सरकार बनी हुई है। आम आदमी पार्टी की केवल एक ही सीट है, लेकिन मेहराज मलिक का समर्थन राजनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से काफी महत्वपूर्ण था।
उनके समर्थन वापसी से सरकार के नैतिक आधार पर भी सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी पार्टियों—भारतीय जनता पार्टी (BJP) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP)—ने इसे सरकार की "विफलता का प्रतीक" बताया है।
मुख्य कारण क्या रहे?
मेहराज मलिक ने कुछ प्रमुख कारण गिनाए जिनकी वजह से उन्होंने समर्थन वापस लिया:
1. बेरोजगारी में इज़ाफा:
राज्य में युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे। सरकारी भर्तियां या तो रुकी हैं या भ्रष्टाचार से ग्रसित हैं।
2. घोटालों पर चुप्पी:
कई स्थानीय घोटालों पर सरकार की निष्क्रियता और जांच की कमी से जनता का भरोसा डगमगा गया है।
3. केंद्र और राज्य के बीच समन्वय की कमी:
केंद्र सरकार की योजनाओं को राज्य में लागू करने में सुस्ती और टकराव की स्थिति बनी रही।
4. जनहित के मुद्दों की अनदेखी:
बिजली, पानी, सड़क जैसे मूलभूत मुद्दों पर सरकार ने कोई ठोस काम नहीं किया।
सरकार की प्रतिक्रिया
नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस स्थिति को संभालने के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ आपात बैठक कर रहे हैं।
अगर अन्य सहयोगी दल या निर्दलीय भी समर्थन वापस लेते हैं, तो सरकार के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। वहीं विपक्ष भी इस मौके को भुनाने के लिए तैयार बैठा है और किसी भी समय अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है।
मेहराज मलिक का यह फैसला केवल एक विधायक का समर्थन वापसी नहीं है, बल्कि यह सरकार की नीति, जनसरोकार और राजनीतिक नैतिकता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में और हलचल देखने को मिल सकती है।