
विदेश डेस्क, नीतीश कुमार |
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने इस्तीफा दिया, पार्टी टूटने से बचाने के लिए पद छोड़ा
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह कदम सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) में विभाजन से बचने के लिए उठाया। जापानी मीडिया NHK ने इसकी पुष्टि की है।
इशिबा की गठबंधन सरकार जुलाई में ऊपरी सदन के चुनाव में हार गई थी। इसके लिए उन्होंने हाल ही में माफी मांगी थी और इस्तीफे पर विचार करने की बात कही थी। चुनावी हार के बाद LDP में ‘इशिबा को हटाओ’ की मांग तेज हो गई थी। कई नेताओं और सांसदों ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हो गई थी। अब उनके हटने के बाद LDP में नई लीडरशिप की दौड़ शुरू होगी।
जुलाई में हुए चुनाव में LDP और उसके सहयोगी दल बहुमत से वंचित रह गए थे। ऊपरी सदन की 248 सीटों में से गठबंधन को कम से कम 50 नई सीटों की जरूरत थी, लेकिन वे सिर्फ 47 ही जीत पाए। इनमें से LDP को 39 सीटें मिलीं। यह इशिबा की दूसरी बड़ी हार थी। इससे पहले अक्टूबर में निचले सदन का चुनाव हारने के बाद गठबंधन दोनों सदनों में अल्पमत में चला गया था। यह पहली बार हुआ जब LDP-गठबंधन ने दोनों सदनों में बहुमत खोया।
अक्टूबर 2024 के चुनाव में LDP-कोमेतो गठबंधन को 465 में से 215 सीटें मिली थीं, जबकि बहुमत के लिए 233 सीटें जरूरी थीं। विपक्षी CDPJ को 148 सीटें मिलीं, लेकिन विपक्ष एकजुट नहीं हो पाया। इशिबा ने चेतावनी दी थी कि यदि नो-कॉन्फिडेंस मोशन लाया गया तो संसद भंग कर चुनाव कराएंगे। इसी कारण विपक्ष पीछे हट गया। इसके बाद इशिबा छोटे दलों के समर्थन से बिल पास करवाते रहे, लेकिन सरकार चलाने के लिए उन्हें विपक्ष पर निर्भर रहना पड़ा।
मंहगाई और अमेरिकी टैरिफ को लेकर जनता में नाराजगी थी, जिसके चलते सत्तारूढ़ गठबंधन को झटका लगा। हालांकि इशिबा ने अमेरिका के साथ समझौता कर ऑटोमोबाइल पर टैरिफ 25% से घटाकर 15% कर दिया। इससे टोयोटा और होंडा जैसी कंपनियों को राहत मिली। बदले में जापान ने अमेरिका में 550 अरब डॉलर निवेश और कृषि उत्पादों की खरीद बढ़ाने का वादा किया। इसके बावजूद उनकी राजनीतिक स्थिति नहीं संभल सकी और इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया।