स्टेट डेस्क, प्रीति पायल |
राष्ट्रीय जनता दल में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के टिकट बंटवारे को लेकर बड़ा हंगामा मच गया है। आज (19 अक्टूबर 2025) पटना स्थित सर्कुलर रोड पर लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के निवास के सामने आरजेडी नेता मदन प्रसाद शाह ने तीव्र विरोध प्रदर्शन किया। मधुबन विधानसभा सीट (पूर्वी चंपारण) से टिकट न मिलने पर क्रोधित शाह ने अपना कुर्ता फाड़कर सड़क पर धरना दिया और रोते हुए पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। यह घटना चुनावी माहौल में आरजेडी के लिए अप्रत्याशित समस्या बन गई है।
रविवार दोपहर लगभग 2 बजे पटना के सर्कुलर रोड पर लालू-राबड़ी निवास के मुख्य प्रवेश द्वार पर। मधुबन सीट से चुनावी टिकट की आशा रखने वाले मदन शाह अचानक वहां पहुंचे। पार्टी से टिकट नहीं मिलने की जानकारी मिलते ही उन्होंने तत्काल विरोध शुरू कर दिया।
शाह ने सबसे पहले पार्टी नेतृत्व के विरुद्ध जोरदार नारेबाजी की, उसके बाद क्रोध में अपना कुर्ता फाड़ दिया। इसके पश्चात वे सड़क पर लेटकर रोते-चिल्लाते हुए कहने लगे, "90 के दशक से पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया है, लेकिन अब धनवान लोगों को टिकट मिल रहा है।" घटनास्थल पर बड़ी भीड़ एकत्र हो गई, जिसके कारण सुरक्षाकर्मियों को तुरंत स्थिति नियंत्रित करनी पड़ी। संपूर्ण वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है।
शाह ने प्रत्यक्ष रूप से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव और उनके निकटवर्ती संजय यादव को लक्षित किया। उनका दावा था कि संजय यादव ने उनसे 2.7 करोड़ रुपये की राशि मांगी थी। पैसे न देने के कारण टिकट रद्द कर दिया गया। शाह ने तेजस्वी को "अत्यधिक अहंकारी" करार दिया और कहा, "वे कार्यकर्ताओं से मिलना तक पसंद नहीं करते। लालू जी को अपना आदर्श मानता हूं, परंतु तेजस्वी ने सब कुछ नष्ट कर दिया।" उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि महागठबंधन सरकार नहीं बन पाएगी।
शाह ने बताया कि पूर्व में तेजस्वी ने उन्हें टिकट देने का आश्वासन दिया था, किंतु बाद में मुकर गए। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा, "तेजस्वी जी ने वचन दिया था, लेकिन बात पूरी नहीं हुई। अब पैसे लेकर टिकट वितरित किए जा रहे हैं।" फिलहाल तेजस्वी या पार्टी की तरफ से कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है।
मधुबन विधानसभा क्षेत्र (पूर्वी चंपारण जिला) आरजेडी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2020 के चुनाव में मदन शाह ने इसी क्षेत्र से पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और केवल 2,000 मतों के अंतर से पराजित हुए थे। वे स्वयं को पुराना समर्पित कार्यकर्ता मानते हैं। पार्टी ने इस बार यह सीट संतोष कुशवाहा को आवंटित कर दी है, जिससे शाह में रोष पैदा हुआ है। यह क्षेत्र महागठबंधन के हिस्से में आता है, और टिकट आवंटन में कांग्रेस तथा अन्य सहयोगी दलों के साथ मतभेद भी चल रहे हैं।
यह एकमात्र घटना नहीं है। पिछले कई दिनों से लालू-राबड़ी निवास के बाहर टिकट के इच्छुक और उनके समर्थकों की बड़ी संख्या एकत्र हो रही है:
4 अक्टूबर को मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार दास के विरुद्ध प्रदर्शन: गया जिले के मखदुमपुर के विधायक सतीश कुमार के खिलाफ सैकड़ों कार्यकर्ता निवास पर पहुंचे। उन्होंने नारा लगाया, "भ्रष्ट विधायक नहीं चाहिए, सतीश कुमार को पराजित करना है।" आरोप यह था कि सतीश ने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं किए। राबड़ी देवी ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता की, लेकिन समझौता नहीं हुआ।
बड़हरा, मसौढ़ी आदि सीटों पर भी अशांति: 10-14 अक्टूबर के मध्य बड़हरा के पूर्व विधायक रघुपति यादव के समर्थकों ने धरना दिया। मरीन ड्राइव पर लालू की गाड़ी को घेर लिया गया। महिलाओं ने सोहर गाकर टिकट की मांग की।
14 अक्टूबर को लालू के दिल्ली से वापसी पर कई उम्मीदवारों के टिकट रद्द कर दिए गए, जिससे रात भर हंगामा मचा।
आरजेडी में टिकट वितरण को लेकर आंतरिक संघर्ष चरम पर पहुंच गया है। कार्यकर्ता लालू से निवेदन कर रहे हैं कि "समर्पित लोगों को अवसर दें, धनी लोगों को नहीं।" X पर कुछ पोस्ट्स में इसे "विरोध राजनीति" कहा जा रहा है, जहां कार्यकर्ता दबाव डालकर टिकट प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का व्यंग्य: गिरिराज ने लालू पर कटाक्ष करते हुए कहा, "लालू जी, दरवाजा मत खोलिए, नहीं तो कार्यकर्ता आपका कुर्ता भी फाड़ देंगे।" उन्होंने महागठबंधन पर टिकट की खरीद-बिक्री का आरोप लगाया और कहा, "नुकसान किसी का, मार किसी की।" यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
पार्टी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि टिकट का निर्णय लालू करेंगे, और सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन आंतरिक नाराजगी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
बिहार चुनाव दो चरणों में संपन्न हो रहे हैं, पहले चरण का नामांकन समाप्त हो चुका है। आरजेडी-महागठबंधन को 2020 में भारी पराजय झेलनी पड़ी थी, और अब टिकट विवाद से कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हो सकता है। X पर उपयोगकर्ता इसे "आरजेडी की चरम स्थिति" बता रहे हैं, जैसा कि हरियाणा में कांग्रेस के साथ हुआ था। यदि यह क्रम जारी रहा, तो मत स्थानांतरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।







