स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |
चेन्नई: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने शुक्रवार को मद्रास हाई कोर्ट को सूचित किया कि तमिलनाडु की मतदाता सूची की विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया एक सप्ताह में शुरू हो जाएगी। यह बयान मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ के समक्ष दिया गया। कोर्ट पूर्व AIADMK विधायक बी सत्यानारायणन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मतदाता सूची के संशोधन के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
आयोग ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि तमिलनाडु में मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए विशेष अभियान जल्द शुरू होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सूची सटीक और समावेशी हो। यह कदम आगामी चुनावों के लिए मतदाता डेटा को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मतदाता सूची संशोधन की जरूरत क्यों?
तमिलनाडु में मतदाता सूची का संशोधन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि सभी पात्र मतदाताओं का नाम सूची में शामिल हो और कोई अनियमितता न रहे। बी सत्यानारायणन ने अपनी याचिका में इस बात पर जोर दिया कि कई पात्र मतदाताओं के नाम सूची से गायब हैं, जबकि कुछ गलत प्रविष्टियां भी मौजूद हैं। उनकी याचिका में मांग की गई थी कि निर्वाचन आयोग को तत्काल संशोधन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया जाए।
निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया कि विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन का कार्य किया जाएगा। यह प्रक्रिया न केवल नए मतदाताओं को पंजीकृत करने में मदद करेगी, बल्कि पुरानी और गलत प्रविष्टियों को हटाने में भी सहायक होगी।
मद्रास हाई कोर्ट की सक्रियता
मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में सक्रिय रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग से स्पष्ट समयसीमा मांगी थी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता सूची की प्रक्रिया में देरी न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव के लिए सटीक मतदाता सूची अत्यंत आवश्यक है।
हाल के दिनों में मद्रास हाई कोर्ट ने कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों में भी सक्रियता दिखाई है। उदाहरण के लिए, कोर्ट ने हाल ही में 2011 में LK अडवाणी की रथ यात्रा के दौरान बम हमले की साजिश रचने वाले व्यक्ति की बरी करने के फैसले को पलट दिया। इसके अलावा, तमिलनाडु में मुर्गा लड़ाई को सांस्कृतिक दर्जा देने से इनकार करते हुए इसे गैरकानूनी घोषित किया।
निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग
याचिकाकर्ता बी सत्यानारायणन ने तर्क दिया कि मतदाता सूची में अनियमितताएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करती हैं। उन्होंने कहा कि कई मतदाताओं को अपने मताधिकार से वंचित होना पड़ता है, क्योंकि उनका नाम सूची में नहीं होता। निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि SIR प्रक्रिया के तहत सभी शिकायतों का समाधान किया जाएगा और मतदाता सूची को पूरी तरह से अपडेट किया जाएगा।
आयोग ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों और बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की मदद ली जाएगी, ताकि घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच की जा सके। यह प्रक्रिया न केवल मतदाताओं की सुविधा के लिए है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाने के लिए भी जरूरी है।
तमिलनाडु में मतदाता सूची का संशोधन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में जल्द ही स्थानीय निकाय चुनाव होने की संभावना है। एक सटीक और अद्यतन मतदाता सूची निष्पक्ष और समावेशी चुनाव सुनिश्चित करने में मदद करेगी।







