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तालिबान ने ब्रिटिश दंपत्ति को किया रिहा

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

अफगानिस्तान से एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। तालिबान ने लगभग आठ महीने तक हिरासत में रखे गए एक ब्रिटिश दंपत्ति को रिहा कर दिया है। लंबे समय तक चले तनावपूर्ण इंतजार के बाद दंपत्ति सुरक्षित कतर पहुँचा, जहां वे अपनी बेटी से मिलकर भावुक हो उठे।

80 वर्षीय डॉक्टर पीटर स्लोस और उनकी पत्नी बारबरा करीब दो दशकों से अफगानिस्तान में रह रहे थे। यह दंपत्ति मानवीय सेवाओं से जुड़े कार्यों में सक्रिय था और स्थानीय लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सहायता करता था। फरवरी माह में जब वे छुट्टियां मनाने के बाद अपने घर लौट रहे थे, तभी तालिबान ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया।

तालिबान ने उनकी गिरफ्तारी के कारणों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं किया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना जा रहा था कि यह गिरफ्तारी सुरक्षा और राजनीतिक दबाव की रणनीति का हिस्सा थी।

हिरासत में बीते आठ महीने

इन आठ महीनों में दंपत्ति से संपर्क बेहद सीमित रहा। उनके परिवार और ब्रिटिश सरकार ने बार-बार उनकी रिहाई की मांग की। कतर और अन्य मध्यस्थ देशों ने भी बातचीत में अहम भूमिका निभाई। बताया जाता है कि लगातार कूटनीतिक प्रयासों और मानवीय आधार पर की गई अपीलों के चलते तालिबान ने अंततः दंपत्ति को छोड़ने का निर्णय लिया।

रिहाई और भावनात्मक पल

रिहाई के बाद जैसे ही यह दंपत्ति कतर पहुँचा, वहां एयरपोर्ट पर उनकी बेटी ने उन्हें गले लगाकर स्वागत किया। महीनों से बिछड़े इस परिवार के पुनर्मिलन के दृश्य बेहद भावुक कर देने वाले थे। पीटर और बारबरा दोनों ने राहत की सांस ली और बेटी से मिलते ही उनकी आंखें नम हो गईं।

ब्रिटेन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने दंपत्ति की रिहाई पर राहत व्यक्त की और कहा कि यह मानवीय दृष्टिकोण से एक सकारात्मक कदम है। मंत्रालय ने कतर सरकार का विशेष आभार जताया, जिसने इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभाई। साथ ही, ब्रिटिश अधिकारियों ने तालिबान से यह अपील भी की है कि भविष्य में मानवीय कार्यों में लगे लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार न किया जाए।

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तालिबान को मानवीय कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि इस तरह की गिरफ्तारियां अफगानिस्तान में विदेशी सहायता कार्यों को प्रभावित करती हैं और स्थानीय जनता को नुकसान पहुंचाती हैं।

अफगानिस्तान की स्थिति

2021 में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान पर मानवाधिकार उल्लंघन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश और विदेशी नागरिकों के साथ कठोर व्यवहार के आरोप लगातार लगते रहे हैं। कई बार विदेशी नागरिकों को हिरासत में लेकर तालिबान ने पश्चिमी देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि हाल की इस रिहाई के जरिए तालिबान अंतरराष्ट्रीय मंच पर थोड़ी सकारात्मक छवि पेश करना चाहता है।
लगभग आठ महीनों की पीड़ा और अनिश्चितता के बाद ब्रिटिश दंपत्ति की रिहाई उनके परिवार और ब्रिटेन के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि अफगानिस्तान में मानवीय कार्यों से जुड़े लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। साथ ही, यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक संकेत है कि तालिबान के साथ संबंधों में सावधानी और निरंतर संवाद दोनों की आवश्यकता है।