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तेज प्रताप आखिर गुनाहगार क्यों? ये सियासत है.... इश्क नहीं समझती

नीतीश कुमार की EXCLUSIVE रिपोर्ट

बिहार की सियासत में यादव परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला राजनीतिक रणनीति से ज्यादा निजी और भावनात्मक है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को उनके पिता ने पार्टी और परिवार से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वजह बनी एक फेसबुक पोस्ट, जिसमें तेज प्रताप ने अपने कथित 12 साल पुराने रिश्ते का जिक्र किया था। लेकिन यह पोस्ट कुछ ही घंटों में डिलीट हो गई और तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका अकाउंट हैक हो गया था। इस घटना ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि आम लोगों के बीच भी सवाल उठा दिया, आखिर तेज प्रताप गुनाहगार क्यों ठहराए गए? क्या यह नैतिकता का मसला है, या फिर सियासत का एक खेल?
 

फेसबुक पोस्ट से शुरू हुआ बवाल
24 मई, 2025 को तेज प्रताप यादव ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली। इसमें उन्होंने अनुष्का यादव के साथ अपनी तस्वीर शेयर की और लिखा, "इस तस्वीर में दिख रही व्यक्ति अनुष्का यादव हैं। हम एक-दूसरे को पिछले 12 सालों से जानते हैं। हम प्यार में हैं और 12 सालों से रिश्ते में हैं।" यह पोस्ट आग की तरह फैल गई। सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। लोग उनकी पहली शादी का जिक्र करने लगे, जो 2018 में ऐश्वर्या राय से हुई थी और 2019 में घरेलू हिंसा के आरोपों के बाद टूट गई थी। हालांकि अभी तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या के तलाक और घरेलू हिंसा का मामला कोर्ट में चल रहा है। 

लेकिन कुछ घंटों बाद ही तेज प्रताप ने एक्स पर सफाई दी, "मेरा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैक हो गया था और मेरी तस्वीरों को गलत तरीके से एडिट किया गया।" पोस्ट डिलीट कर दी गई, लेकिन तब तक बात लालू यादव तक पहुंच चुकी थी।
 

लालू का सख्त फैसला
25 मई, 2025 को लालू प्रसाद यादव ने एक्स पर ऐलान किया कि तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से 6 साल के लिए निकाला जा रहा है। उन्होंने लिखा, "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है।" 
इस फैसले ने सबको चौंका दिया। कुछ ने इसे परिवार की मर्यादा बचाने का कदम बताया, तो कुछ ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा। सवाल उठा कि क्या यह वाकई नैतिकता की बात है, या सियासत में छवि चमकाने की कोशिश?

तेजस्वी की शादी और सवालों का घेरा
इस मामले में एक और एंगल उभरकर सामने आया। लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने 2021 में रेचल गोदिन्हो (अब राजश्री यादव) से शादी की थी, जो एक ईसाई महिला हैं। इस अंतर-धार्मिक शादी को परिवार ने खुली बाहों से स्वीकार किया। तेजस्वी ने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैंने अपने पिता से कहा कि मैं उससे शादी करना चाहता हूँ, और उन्होंने कहा, 'ठीक है।'"
अब सवाल यह है कि जब तेजस्वी की शादी को हरी झंडी मिली, तो तेज प्रताप के रिश्ते पर इतना बवाल क्यों? क्या यह सिर्फ नैतिकता का मसला है, या परिवार और पार्टी पर सियासी दबाव काम कर रहा है?
 

पहली शादी का दाग
तेज प्रताप की जिंदगी में विवाद नया नहीं है। उनकी पहली शादी 2018 में ऐश्वर्या राय से हुई थी, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती हैं। लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं टिका। ऐश्वर्या ने घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और 2019 में तलाक हो गया। इस घटना ने उनकी छवि को पहले ही धक्का पहुंचाया था। अब यह नया विवाद उनके निजी जीवन को फिर से कठघरे में खड़ा कर रहा है।
 

सियासत या सजा?
लालू के फैसले पर बहस छिड़ गई है। क्या यह परिवार के सम्मान को बचाने की कोशिश है, या चुनाव से पहले पार्टी की साफ छवि पेश करने की रणनीति? कुछ विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का यह प्रकरण पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता था, इसलिए यह कदम उठाया गया। वहीं उनके समर्थक इसे नाइंसाफी बता रहे हैं। उनका कहना है कि तेजस्वी की शादी को मंजूरी मिली, तो तेज प्रताप को उनके निजी रिश्ते के लिए सजा क्यों?

क्या इश्क सियासत से हारा ?
यह पूरा मामला एक कड़वी सच्चाई सामने लाता है, सियासत में इश्क की कोई जगह नहीं। तेज प्रताप का अनुभव बताता है कि राजनीति में निजी रिश्तों को अक्सर कुर्बान करना पड़ता है। लालू का फैसला चाहे नैतिकता के नाम पर हो या सियासी चाल, यह साफ है कि राजनीति प्यार और आजादी को आसानी से नहीं स्वीकारती। तेज प्रताप यादव का यह विवाद न सिर्फ यादव परिवार की अंदरूनी उथल-पुथल को दिखाता है, बल्कि एक बड़े सवाल को जन्म देता है, क्या सियासत इतनी बेवफा हो गई है कि वह इश्क को नहीं समझती? 
तेजप्रताप यादव की ये कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि राजनीति में व्यक्तिगत जीवन भी एक मोहरे से ज्यादा कुछ नहीं। तेज प्रताप आखिर गुनाहगार क्यों ठहराए गए? शायद इसलिए, क्योंकि सियासत में प्यार कमजोरी माना जाता है, और कमजोरी की कोई जगह नहीं होती। ये सियासत है... इश्क नहीं समझती।