स्टेट डिस्क - वरॉनिका राय
दिल्ली के रोहिणी इलाके में बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। बिहार के सीतामढ़ी के मोस्ट वांटेड अपराधी रंजन पाठक समेत चार कुख्यात बदमाश दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस की संयुक्त मुठभेड़ में मारे गए। बताया जा रहा है कि यह सभी अपराधी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की साजिश रच रहे थे।
दिल्ली में खत्म हुआ सिग्मा गैंग का आतंक
रोहिणी सेक्टर में देर रात हुई इस मुठभेड़ ने बिहार के अपराध जगत में हलचल मचा दी है। यह गिरोह “सिग्मा गैंग” के नाम से जाना जाता था, जिसका सरगना रंजन पाठक लंबे समय से बिहार पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। पुलिस के अनुसार, रंजन पाठक पर कई हत्या, अपहरण और रंगदारी के मामले दर्ज थे।
बिहार पुलिस को कई दिनों से रंजन पाठक की तलाश थी, लेकिन उसकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। कुछ दिन पहले बिहार के डीजीपी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा से संपर्क कर रंजन और उसके साथियों को पकड़ने में मदद मांगी थी। इसके बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
रात 2:30 बजे मुठभेड़ में मारे गए चार अपराधी
दिल्ली क्राइम ब्रांच के डीसीपी संजीव कुमार यादव के नेतृत्व में पुलिस टीम ने बेगमपुर इलाके में बदमाशों को घेर लिया। जैसे ही पुलिस ने उन्हें सरेंडर करने को कहा, बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसके जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं। करीब आधे घंटे चली इस मुठभेड़ में चारों बदमाश गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मारे गए अपराधियों की पहचान हुई
पुलिस के अनुसार, मारे गए बदमाशों की पहचान इस प्रकार हुई है:
1. रंजन पाठक (25) – सीतामढ़ी जिले के सुरसंड थाना क्षेत्र के मलाही गांव का निवासी, गिरोह का सरगना।
2. बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी (25) – बाजपट्टी थाना क्षेत्र के रतवारा गांव का निवासी, रंजन का दाहिना हाथ।
3. अमन ठाकुर (21) – शिवहर जिले के दोस्तियां गांव का निवासी।
4. मनीष पाठक (33) – दिल्ली के करावल नगर स्थित शेरपुर गांव का निवासी।
चारों अपराधी लंबे समय से बिहार पुलिस को वांटेड सूची में थे। खासतौर पर रंजन पाठक पर हत्या और रंगदारी के पांच से अधिक मामले दर्ज थे।
कौन था रंजन पाठक?
रंजन पाठक बिहार के अपराध जगत का बेहद चर्चित नाम था। सीतामढ़ी और आसपास के इलाकों में उसकी दहशत थी। बताया जाता है कि एक हाई-प्रोफाइल हत्या के बाद उसने मीडियाकर्मियों को अपना “क्रिमिनल बायोडाटा” भेजकर खुलेआम चुनौती दी थी। उसका मकसद था लोगों में डर फैलाना और अपनी पहचान अपराध की दुनिया में और मजबूत करना।
हाल ही में रंजन का एक ऑडियो कॉल वायरल हुआ था, जिसमें वह अपने साथियों को बिहार चुनाव से पहले “दहशत फैलाने” और “इतनी हत्याएं करने” की बात कर रहा था कि “एसपी का तबादला हो जाए।” इससे साफ था कि वह चुनावी माहौल में अस्थिरता पैदा करने की साजिश कर रहा था।
नेपाल से चल रहा था गिरोह का नेटवर्क
बिहार पुलिस के मुताबिक, सिग्मा गैंग नेपाल से ऑपरेट होता था। किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद रंजन नेपाल भाग जाता था और वहां से अपने गिरोह को निर्देश देता था। हर बड़ी वारदात के बाद वह मीडिया को खुद जिम्मेदारी लेते हुए संदेश भेजता था। उसके संदेशों में यह तक लिखा होता था कि उसके गैंग ने अब तक कितनी हत्याएं की हैं और आगे क्या योजना है।
बिहार पुलिस और जनता में भरोसा बढ़ा
दिल्ली में इस संयुक्त कार्रवाई के बाद बिहार पुलिस को बड़ी राहत मिली है। बिहार चुनाव से ठीक पहले इस गिरोह के खात्मे से पुलिस की साख बढ़ी है। आम जनता में भी यह संदेश गया है कि अपराध और अपराधियों पर पुलिस अब सख्त रवैया अपना रही है।
आज से शुरू होगा बिहार चुनाव प्रचार
संयोग से जिस दिन यह मुठभेड़ हुई, उसी दिन बिहार में चुनाव प्रचार की शुरुआत भी हो रही है। ऐसे में यह कार्रवाई अपराधियों के लिए चेतावनी और जनता के लिए सुरक्षा का भरोसा लेकर आई है।







