
नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, मंगलवार को नदी का जलस्तर 205.80 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान 205.33 मीटर से लगभग आधा मीटर अधिक है। यह स्थिति दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है, खासकर उन इलाकों के लिए जो नदी के किनारे स्थित हैं।
पिछले कुछ दिनों से, ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। CWC के अधिकारियों ने बताया कि जलस्तर अभी भी बढ़ रहा है और अगले 24 घंटों में इसके और बढ़ने की संभावना है। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।
दिल्ली सरकार ने बाढ़ की तैयारियों के लिए आपातकालीन बैठकें बुलाई हैं और बचाव दल को अलर्ट पर रखा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की कई टीमें संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। इन टीमों को नावों और अन्य आवश्यक उपकरणों से लैस किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत बचाव और राहत कार्य शुरू किया जा सके।
यमुना के बढ़ते जलस्तर से रिंग रोड, आईटीओ, और यमुना खादर जैसे इलाकों में यातायात प्रभावित हो सकता है। कई प्रमुख सड़कें पहले ही बंद कर दी गई हैं या डायवर्ट कर दी गई हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और यदि आवश्यक हो तो वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे काम कर रहा है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि जान-माल की हानि को रोका जा सके। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए राहत शिविर स्थापित किए गए हैं जहां उन्हें भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है।
बाढ़ का खतरा न केवल निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए है, बल्कि यह दिल्ली के बुनियादी ढांचे के लिए भी एक चुनौती है। यमुना के किनारे बने कई पुल और मेट्रो लाइनें भी खतरे में हैं। प्रशासन ने इन ढांचों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए हैं।
यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली को यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से खतरा हुआ है। पिछले वर्षों में भी इसी तरह की घटनाएं हुई हैं, लेकिन इस बार जलस्तर में वृद्धि की गति अधिक है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अवैध अतिक्रमण ने इस समस्या को और भी जटिल बना दिया है।
दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों, विशेषकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ समन्वय स्थापित किया है ताकि पानी के बहाव को नियंत्रित किया जा सके। उम्मीद है कि जल्द ही जलस्तर में कमी आएगी, लेकिन तब तक प्रशासन और जनता दोनों को सतर्क रहने की जरूरत है।