नेशनल डेस्क – वेरॉनिका राय
धीरेंद्र शास्त्री बोले—“हम जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद चाहते हैं”, बागेश्वर धाम के प्रमुख आचार्य पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आज दिल्ली से अपनी बहुप्रतीक्षित ‘सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा’ की शुरुआत की। यह यात्रा दिल्ली के छतरपुर स्थित मां कात्यायनी मंदिर से आरंभ हुई और वृंदावन तक जाएगी। 10 दिनों तक चलने वाली इस धार्मिक पदयात्रा का उद्देश्य सनातन संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्रवाद का संदेश घर-घर तक पहुंचाना है।
पदयात्रा का उद्देश्य: सनातन एकता और राष्ट्रवाद का संदेश
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि इस पदयात्रा का मकसद हिंदुओं में एकता और जागरूकता लाना है। उन्होंने कहा कि समाज में जाति-आधारित भेदभाव और बंटवारे को खत्म करना, तथा राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करना ही इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने कहा, “हम इस यात्रा से यह संदेश देना चाहते हैं कि हिंदू समाज में जातिवाद खत्म होना चाहिए। जातियां हो सकती हैं, लेकिन जातिवाद नहीं। जब जातियों के बीच की लड़ाई खत्म होगी, तभी हिंदू एकजुट होंगे और देश मजबूत बनेगा।”
तीन राज्यों से गुजरेगी पदयात्रा
यह यात्रा तीन राज्यों—दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगी। कुल 145 किलोमीटर लंबी इस पदयात्रा का समापन पवित्र नगरी वृंदावन में होगा। शास्त्री जी ने बताया कि यात्रा की शुरुआत राष्ट्रगान और हनुमान चालीसा के साथ की गई।
देशभर से जुटे 40,000 सनातनी
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि देशभर से लगभग 40,000 लोगों ने इस पदयात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें हर राज्य, हर कोने और हर गली से श्रद्धालु शामिल हैं। दिल्ली के छतरपुर में गुरुवार रात से ही हजारों भक्तों का जमावड़ा लग गया था। सभी सनातन एकता का संदेश लेकर इस यात्रा में कदम से कदम मिला रहे हैं।
हर दिन ली जाएंगी सात प्रतिज्ञाएं
पदयात्रा के दौरान हर दिन सात कसमें (प्रतिज्ञाएं) ली जाएंगी। इन प्रतिज्ञाओं का उद्देश्य हिंदुओं में एकता, राष्ट्रप्रेम और सनातन संस्कृति के पालन का संकल्प दोहराना है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही बड़ी बातें
यात्रा शुरू होने से पहले आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा—
“हम हिंदुओं में जागरूकता चाहते हैं, जातिवाद और भेदभाव को खत्म करना चाहते हैं। हमें ऐसा भारत चाहिए जहां हर बच्चा सुरक्षित रहे, कोई दंगा न हो, सिर्फ गंगा बहे। हम इस्लामीकरण नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “यह किसी पार्टी की यात्रा नहीं है, बल्कि हर हिंदू की यात्रा है। हमने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा है। जो लोग हिंदुत्व, सनातन और तिरंगे से प्रेम करते हैं, वे हमारे साथ हैं।”
‘चांद पर तिरंगा देखना चाहते हैं’
बाबा बागेश्वर ने कहा, “कुछ लोग तिरंगे में चांद देखना चाहते हैं, लेकिन हम चांद पर तिरंगा देखना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंदुओं के समर्थन में है। हम देश में एकता, शांति और सनातन संस्कृति का संदेश फैलाने जा रहे हैं।”
शांतिपूर्ण माहौल में यात्रा का संकल्प
शास्त्री जी ने कहा कि इस यात्रा का मकसद किसी के खिलाफ आंदोलन नहीं, बल्कि शांति, एकता और अध्यात्म का प्रचार है। उन्होंने यह भी कहा कि “देश में 80 करोड़ हिंदू हैं और हमें हर गली, हर गांव तक जाकर उन्हें एकजुट करना है। जब हिंदू एक होंगे, तभी देश मजबूत होगा।”
‘सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा’ को लेकर पूरे देश में उत्साह और आस्था का माहौल है। भक्तों का मानना है कि यह यात्रा समाज में एकता, भाईचारे और आध्यात्मिकता का नया अध्याय लिखेगी।
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह प्रयास न केवल सनातन संस्कृति के प्रचार का माध्यम है, बल्कि जातिवाद और भेदभाव से ऊपर उठकर एक सशक्त राष्ट्र की ओर कदम बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा संदेश भी देता है।







