
राष्ट्रीय डेस्क, आर्या कुमारी |
आगरा के वैज्ञानिक संजीव गुप्ता ने नासा के परसिवियरेंस रोवर के जरिए मंगल पर प्राचीन जीवन के संकेत ढूंढे हैं। ‘चेयावा फॉल्स’ की चट्टान से लिए गए ‘सैफायर कैन्यन’ नमूने में बायोसिग्नेचर मिले हैं। यह खोज प्रतिष्ठित जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है। पृथ्वी पर जांच के बाद ही यह पक्का हो पाएगा कि वास्तव में मंगल पर जीवन था या नहीं।
यह सवाल हमेशा से मानवता को परेशान करता रहा है – क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? अब नासा की ताज़ा खोज इस रहस्य को समझने की दिशा में बड़ा कदम है। 10 सितंबर 2025 को नासा ने घोषणा की कि परसिवियरेंस रोवर ने मंगल से एक नमूना लिया है, जिसमें प्राचीन सूक्ष्मजीवों (माइक्रोबियल लाइफ) के संकेत मिले हैं। अगर यह प्रमाणित हो गया, तो यह मंगल पर जीवन का पहला सबूत होगा।
इस खोज के केंद्र में हैं आगरा के प्रोफेसर संजीव गुप्ता, जो लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में पृथ्वी विज्ञान के प्रोफेसर हैं। संजीव का जन्म आगरा में हुआ था और वे छह साल की उम्र में परिवार संग ब्रिटेन चले गए। उनके पिता चाहते थे कि संजीव डॉक्टर बनें, लेकिन उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जियोलॉजी चुनी। संजीव कहते हैं, “भारतीय पिता की तरह मेरे पिता भी मेडिसिन चाहते थे लेकिन मैंने जियोलॉजी चुना।” उन्होंने पृथ्वी और चट्टानों का अध्ययन किया और 2012 से नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के साथ मंगल की सतह का विश्लेषण कर रहे हैं। 2020 में परसिवियरेंस रोवर के मिशन में वे फिर जुड़े।
मंगल पर मिले संभावित जीवन के संकेत
2021 से परसिवियरेंस मंगल के जेजेरो क्रेटर क्षेत्र में काम कर रहा है। जुलाई 2024 में रोवर ने ‘चेयावा फॉल्स’ नामक लाल चट्टान पर धब्बेदार पैटर्न देखे। PIXL और SHERLOC उपकरणों से चट्टान में कार्बन, सल्फर, आयरन और फॉस्फोरस जैसे तत्व मिले, जो पृथ्वी पर सूक्ष्मजीवों की ऊर्जा के स्रोत होते हैं। साथ ही विवियनाइट और ग्रीगाइट जैसे खनिज पाए गए, जो पृथ्वी पर बैक्टीरिया की गतिविधियों से बनते हैं।
संजीव गुप्ता ने इन नमूनों का विश्लेषण करते हुए कहा, “हम कह रहे हैं कि यह जीवन का संभावित संकेत है, लेकिन पक्का करने के लिए पृथ्वी पर जांच जरूरी है।”
परसिवियरेंस ने अब तक 27 नमूने लिए
अब तक परसिवियरेंस 27 नमूने इकट्ठा कर चुका है, जिनमें ‘सैफायर कैन्यन’ सबसे महत्वपूर्ण है। ये नमूने टाइटेनियम ट्यूबों में सुरक्षित रखे गए हैं। वैज्ञानिकों ने CoLD स्केल (कॉन्फिडेंस ऑफ लाइफ डिटेक्शन) से उनकी विश्वसनीयता का आकलन किया।
नासा की साइंस मिशन डायरेक्टोरेट की एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर निक्की फॉक्स ने कहा, “यह खोज नासा की योजना का नतीजा है। हम इसे दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए खोल रहे हैं।” संजीव गुप्ता ने बताया कि परसिवियरेंस सीधे जीवन खोजने के लिए नहीं बना, बल्कि चट्टानों में इसके संकेत ढूंढने के लिए।
3.5 अरब साल पुराना है जेजेरो क्रेटर
जेजेरो क्रेटर लगभग 3.5 अरब साल पुराना है, जहां कभी पानी मौजूद था। वैज्ञानिकों के मुताबिक रेडॉक्स रिएक्शन वहां जीवन की ऊर्जा बनने का संकेत देती हैं, लेकिन ये प्रक्रियाएं बिना जीवन के भी संभव हैं। इसलिए पृथ्वी पर जांच बेहद ज़रूरी है। मंगल से नमूने लाने का मिशन (मार्स सैंपल रिटर्न) 2030 के दशक में प्रस्तावित है, हालांकि बजट कटौती से इसमें देरी हो सकती है।
वर्तमान में संजीव गुप्ता रोसलिंड फ्रैंकलिन एक्सोमार्स रोवर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो मंगल की सतह के नीचे ड्रिल करेगा। यह खोज न केवल मंगल पर जीवन की संभावना को और मजबूत बनाती है, बल्कि ब्रह्मांड में जीवन के रहस्य को समझने की दिशा में भी बड़ी उपलब्धि है।