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नेपाल के बाद फ्रांस में बवाल, पेरिस में हिंसा और गिरफ्तारी से बढ़ा संकट

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

नेपाल में हिंसा की घटनाएँ थमी भी नहीं थीं कि अब फ्रांस की राजधानी पेरिस में भी हालात बिगड़ गए हैं। वहाँ सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। सोमवार को पेरिस की सड़कों पर भारी संख्या में प्रदर्शनकारी उतरे और विरोध जताने के दौरान कई जगह आगजनी की घटनाएँ सामने आईं। पुलिस ने हिंसा को काबू में करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया और 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया।

यह आंदोलन सोशल मीडिया पर शुरू हुआ था, जहाँ ‘ब्लॉक एव्रीथिंग’  अभियान के तहत लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया गया। कुछ ही समय में प्रदर्शनकारी राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें बंद कर दीं, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया और कई जगहों पर आग लगाई। पेरिस में 30 से ज्यादा स्थानों पर हिंसा और तोड़फोड़ की खबरें सामने आईं।

फ्रांस के आंतरिक मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने रेन शहर के पश्चिमी हिस्से में एक बस को आग के हवाले कर दिया। इसके चलते इलाके की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई और ट्रेन सेवाएँ भी ठप हो गईं। मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारी फ्रांस में विद्रोह का माहौल बनाना चाहते हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें काबू में करने के लिए व्यापक अभियान चलाया है। पेरिस में 80,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया और बैरिकेड तोड़ने वालों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

इस हिंसा की पृष्ठभूमि फ्रांस की आर्थिक नीतियों से जुड़ी है। प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू द्वारा बजट में 44 अरब यूरो की कटौती का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसे लेकर देशभर में नाराज़गी फैल गई। आम जनता और विपक्ष ने इसे गरीब और मध्यम वर्ग के खिलाफ कदम बताया। बढ़ते विरोध के चलते बायरू को पद छोड़ना पड़ा और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रक्षा मंत्री लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। फिर भी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन थम नहीं रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल आर्थिक मुद्दों का विरोध नहीं, बल्कि राजनीतिक असंतोष की अभिव्यक्ति है। लोगों का आरोप है कि सरकार आम जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर रही है और सत्ता में बैठे लोग सिर्फ अपनी सुविधाओं का ध्यान रख रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है जब पेरिस में इस तरह की हिंसा देखी गई है। 2022 में पेंशन सुधार को लेकर युवाओं ने आंदोलन किया था, जबकि 2023 में पुलिस फायरिंग में एक युवक की मौत के बाद व्यापक हिंसा भड़क गई थी।

नेपाल में हिंसा की खबरों के बाद अब फ्रांस की स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। दुनिया की नज़रें इस पर हैं कि सरकार किस तरह से विरोध को शांत करती है और क्या जनता की आवाज़ को सुना जाता है। फिलहाल पेरिस में तनाव कायम है और हालात की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा बल पूरी ताकत से स्थिति को नियंत्रित करने में लगे हैं।