
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
नेपाल में क्रांति के नाम पर बर्बरता, पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड की बेटी को आग लगाकर मार डाला
नेपाल में राजनीतिक असंतोष अब खतरनाक हिंसा का रूप ले चुका है। राजधानी काठमांडू सहित कई शहरों में जारी प्रदर्शन और क्रांति के नाम पर चल रही उग्र गतिविधियों ने मानवता को झकझोर दिया है। सबसे दिल दहला देने वाली घटना तब सामने आई जब प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की बेटी पर हमला कर उसे जिंदा जलाकर मार डाला।
घटना सोमवार रात की बताई जा रही है। प्रदर्शनकारियों का एक उग्र समूह, जो सरकार के खिलाफ क्रांति का नारा लगाते हुए सड़क पर उतरा था, ने प्रचंड की बेटी के घर का घेराव कर दिया। गुस्साई भीड़ ने घर में तोड़फोड़ की और अंदर घुसकर आग लगा दी। बताया जा रहा है कि जब तक पुलिस मौके पर पहुँची, तब तक वह गंभीर रूप से घायल हो चुकी थीं। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने इसे राजनीति का सबसे निंदनीय रूप बताया। उन्होंने कहा कि यह हिंसा किसी भी लोकतांत्रिक संघर्ष का हिस्सा नहीं हो सकती। उनके परिवार और समर्थकों ने दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। वहीं, कई राजनीतिक दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और कहा है कि विरोध प्रदर्शन का मतलब निर्दोषों की हत्या नहीं है।
स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया है। पुलिस ने हिंसा में शामिल कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। सरकार ने घटना के बाद कर्फ्यू लगाने और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाने का निर्णय लिया है।
हालाँकि, उग्र प्रदर्शन पहले से ही देश में फैल रहे असंतोष का संकेत दे रहे थे। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता ने लोगों को बेचैन कर दिया है। सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई और युवाओं को उकसाकर सड़कों पर उतारा गया। क्रांति के नाम पर शुरू हुए आंदोलन में अब हिंसा और अराजकता बढ़ती जा रही है।
मानवाधिकार संगठनों ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है। संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों ने नेपाल सरकार से अपील की है कि वह शांति स्थापित करने के लिए संवाद का रास्ता अपनाए।
देश के आम नागरिक भी इस घटना से स्तब्ध हैं। वे कह रहे हैं कि विरोध जरूरी हो सकता है, लेकिन निर्दोषों की जान लेना मानवता के खिलाफ है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर संवेदना व्यक्त की और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
इस पूरे घटनाक्रम में Gen Z की भूमिका भी चर्चा का विषय बनी हुई है। युवाओं में बदलाव की तीव्र इच्छा है, लेकिन कई जगहों पर यही बेचैनी बिना सोचे-समझे उग्र रूप ले लेती है। सोशल मीडिया पर चल रहे अभियानों ने उन्हें जल्दी भड़काया और वे अपने गुस्से को प्रदर्शन में उतार बैठे। कुछ युवा राजनीति से निराश होकर बिना किसी रणनीति के भीड़ का हिस्सा बन गए, जबकि कई अन्य युवा शांति और लोकतांत्रिक तरीकों से समाधान की तलाश में हैं। यह साफ दिखता है कि Gen Z आज की राजनीति में सक्रिय तो है, लेकिन दिशा और नेतृत्व की कमी के कारण आंदोलन हिंसक हो रहे हैं। अगर इस ऊर्जा को सही रास्ता दिया जाए तो यही युवा देश के भविष्य को बदल सकते हैं।
नेपाल की राजनीति एक बार फिर संकट में है। अब सबकी नज़रें इस बात पर हैं कि सरकार किस तरह हिंसा को रोकती है और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किस दिशा में कदम उठाती है। यह घटना साबित करती है कि जब असंतोष को सही दिशा नहीं मिलती तो वह बर्बरता का रूप ले सकता है। आने वाले दिनों में नेपाल की स्थिरता और शांति की दिशा तय होगी।