स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार।
केंद्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान फर्जी मतदाताओं को चिन्हित करने के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीक को शामिल करने का फैसला किया है। यह एआई सॉफ्टवेयर मतदाता सूची में उपलब्ध तस्वीरों का विश्लेषण करेगा, ताकि संदिग्ध या दोहराई गई पहचान की जांच की जा सके।
पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एआई टूल ‘फेस रिकग्निशन’ तकनीक का उपयोग करके उन प्रविष्टियों को पकड़ सकेगा जिनमें एक ही फोटो का उपयोग कई मतदाता पहचान पत्रों के लिए किया गया है। अधिकारी ने नाम प्रकट न करने की शर्त पर कहा कि सॉफ्टवेयर ऐसी तस्वीरों का स्वतः मिलान कर फर्जी मतदाताओं की पहचान आसान बनाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक SIR के अंतर्गत एन्यूमरेशन फॉर्म (EF) का वितरण, संग्रह और डिजिटाइजेशन 25-26 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की जाएगी। सीईओ कार्यालय का कहना है कि एआई की मदद से उन मामलों को भी पहचाना जा सकेगा, जिनमें मृत या काल्पनिक मतदाताओं के लिए प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों का गलत उपयोग किया गया है - यह आरोप विपक्षी दल अक्सर उठाते रहे हैं।
हालांकि, अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि संपूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केवल एआई पर्याप्त नहीं है। बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) को घर-घर जाकर प्रत्येक मतदाता की जानकारी और फोटो का सत्यापन अनिवार्य रूप से करना होगा।
उल्लेखनीय है कि 4 नवंबर से शुरू हुई SIR प्रक्रिया में यह सामने आया है कि राज्य के लगभग दो करोड़ मतदाता अब भी अपनी पहचान 2002 की मतदाता सूची से जोड़ने की प्रक्रिया में हैं। अब तक करीब 2.4 करोड़ मतदाता 2002 की सूची से अपनी जानकारी मैच करा चुके हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि जिन मतदाताओं के माता-पिता में से कम से कम एक का नाम 2002 के बाद की सूची में दर्ज है, उनमें से लगभग 2.5 करोड़ लोग भी बिना अतिरिक्त जांच के सत्यापित हो सकेंगे।
इस बीच, केंद्रीय चुनाव आयोग का एक उच्च-स्तरीय दल मंगलवार को कोलकाता पहुंचकर SIR की प्रगति की समीक्षा कर रहा है। बंगाल में अगले साल अप्रैल - मई में विधानसभा चुनाव होने हैं और आयोग फरवरी में चुनाव तिथियों की घोषणा कर सकता है।







