
ऋषि राज, विदेश डेस्क |
पाकिस्तान में पानी की त्रासदी: भारत की सख्ती और सिंधु जल संधि पर विराम
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस कदम के बाद पाकिस्तान में पानी की भारी किल्लत देखी जा रही है, जिससे न केवल कृषि बल्कि बिजली उत्पादन और आम जीवन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है।
भारत का बड़ा कदम: सिंधु जल संधि स्थगित
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया। भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई नहीं करता, तब तक किसी भी प्रकार की जल वार्ता संभव नहीं होगी।
पाकिस्तान में हाहाकार: जल संकट गहराया
भारत के निर्णय के बाद पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में जल संकट ने विकराल रूप ले लिया है। मंगला और तरबेला जैसे प्रमुख बांधों में जल स्तर 50% से अधिक गिर चुका है। झेलम और सिंधु नदियों में जल प्रवाह में भारी कमी आई है, जिससे किसानों की खरीफ की बुवाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की किल्लत भी सामने आ रही है।
भारत की नई जलनीति: आत्मनिर्भरता की ओर
भारत अब सिंधु नदी के जल संसाधनों के संपूर्ण उपयोग की ओर अग्रसर हो चुका है। जल शक्ति मंत्रालय ने एक "महाप्लान" तैयार किया है जिसके अंतर्गत 16,000 मेगावाट से अधिक की पनबिजली परियोजनाओं की पहचान की गई है। इसके अलावा, नदियों की धारा मोड़ने और बड़े जलाशयों के निर्माण की संभावनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।
पाकिस्तान की बेचैनी: तात्कालिक समाधान की कोशिश
जल संकट के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और उपप्रधानमंत्री इशाक डार की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है, जो 72 घंटे के भीतर समाधान सुझाएगी। साथ ही नए जलाशयों और बांधों के निर्माण की योजना भी घोषित की गई है, लेकिन उसमें समय और संसाधनों की भारी कमी है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव: संयुक्त राष्ट्र की शरण में पाकिस्तान
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया है। विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपत्ति जताई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है। हालांकि भारत ने इसे पूरी तरह आंतरिक सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा मामला बताया है। भारत का सिंधु जल संधि को स्थगित करना एक ऐसा कदम है जिसने पाकिस्तान को उसकी आतंकी गतिविधियों की कीमत चुकाने पर मजबूर कर दिया है। यह फैसला भारत की सख्त आतंकवाद विरोधी नीति और जल संसाधनों पर अधिकार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस जल संकट से कैसे उबरता है और क्या वह भारत के साथ संबंधों में सुधार लाने के लिए कोई सकारात्मक कदम उठाता है या नहीं।