विदेश डेस्क, ऋषि राज |
पाकिस्तान में सोमवार को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के समर्थकों और पुलिस के बीच भीषण झड़पें हुईं, जिससे देश के कई हिस्सों में तनाव और हिंसा फैल गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, लाहौर और इस्लामाबाद में पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और गोलियां चलाईं। वहीं, TLP ने दावा किया है कि उसके प्रमुख साद रिज़वी को गोली लगी है और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। संगठन का कहना है कि सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जबकि कई की मौत की खबरें भी हैं।
हिंसा की शुरुआत कैसे हुई
यह हिंसा उस समय शुरू हुई जब TLP समर्थकों ने राजधानी इस्लामाबाद की ओर “लॉन्ग मार्च” निकाला। यह मार्च गाजा में चल रहे संघर्ष और पाकिस्तान सरकार द्वारा इजरायल के “गाजा पीस प्लान” के प्रति समर्थन के विरोध में आयोजित किया गया था। प्रदर्शनकारियों का उद्देश्य इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के बाहर फलस्तीन समर्थक रैली करना था, लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। जब पुलिस ने रैली को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की, तो भीड़ ने उसे हटाने की कोशिश की और झड़प शुरू हो गई।
लाहौर और इस्लामाबाद में हिंसा
लाहौर और इस्लामाबाद दोनों जगह हालात तेजी से बिगड़ गए। पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें एक अधिकारी की मौत हो गई और कई घायल हुए। वहीं, TLP ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर “सीधी गोलीबारी” की, जिसमें कई कार्यकर्ता मारे गए।
पंजाब प्रांत के पुलिस प्रमुख उस्मान अनवर ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल प्रयोग जरूरी हो गया था। उन्होंने किसी प्रदर्शनकारी की मौत की पुष्टि नहीं की, लेकिन यह स्वीकार किया कि स्थिति “बेहद तनावपूर्ण” है।
TLP प्रमुख साद रिज़वी की हालत गंभीर
TLP ने दावा किया कि उसके प्रमुख साद रिज़वी को भी गोली लगी है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें रिज़वी पुलिस से गोलीबारी रोकने और बातचीत के लिए तैयार होने की अपील करते दिख रहे हैं। कुछ ही देर बाद कथित रूप से उन्हें गोली लगने की खबर आई। TLP ने इसे “राजनीतिक साजिश” बताया है और देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है।
हिंसा और अराजकता के दृश्य
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि कई वाहन जल रहे हैं, जिनमें TLP कार्यकर्ताओं को ले जा रहा एक ट्रक भी शामिल है। लाहौर से लेकर गुजरांवाला तक सड़कों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार से अब तक 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) की स्थापना 2015 में हुई थी और यह पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून (Blasphemy Law) के बचाव के लिए जानी जाती है। इस कानून के तहत इस्लाम का अपमान करने वाले व्यक्ति को मृत्युदंड दिया जा सकता है। 2018 के आम चुनावों में इस पार्टी ने इसी मुद्दे पर प्रचार करके लोकप्रियता हासिल की। इसके बाद से TLP ने बार-बार हिंसक प्रदर्शनों के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाया है, खासकर तब जब किसी विदेशी देश में कुरान के अपमान की घटना सामने आई।
स्थिति पर सरकार की प्रतिक्रिया
सरकारी सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने “सार्वजनिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने” के लिए कार्रवाई की है। सुरक्षा बलों को कई शहरों में तैनात किया गया है और लाहौर, इस्लामाबाद, और रावलपिंडी में इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बंद कर दी गई हैं।
TLP और पुलिस के बीच यह झड़प पाकिस्तान में बढ़ते धार्मिक और राजनीतिक असंतोष का प्रतीक बन गई है। साद रिज़वी की स्थिति को लेकर संशय और सरकारी दमन के आरोपों ने जनता में और गुस्सा भर दिया है। देश के कई हिस्सों में हालात अब भी तनावपूर्ण हैं और सरकार के लिए यह संकट एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।







