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पुतिन ने 38 वर्ष के संबंध अमेरिका से एक झटके में तोड़े

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

अमेरिका की चेतावनियों के बीच रूस ने हटाई मिसाइल तैनाती पर लगी रोक, वैश्विक सुरक्षा पर गहराया संकट
अमेरिका की ओर से मिल रही लगातार धमकियों और बढ़ते सामरिक तनाव के बीच रूस ने एक बड़ा सैन्य फैसला लेते हुए छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों की तैनाती पर लगी रोक को हटा लिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वैश्विक राजनीति में अस्थिरता और सामरिक होड़ तेज होती जा रही है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अब वह खुद को उन प्रतिबंधों से बंधा हुआ नहीं मानता, जो उसने अतीत में स्वेच्छा से अपनाए थे। यह रोक 1987 में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच हुए इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF) संधि के तहत लगाई गई थी।

क्या है INF संधि?

INF संधि अमेरिका और सोवियत संघ (रूस) के बीच वर्ष 1987 में हुई थी। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने 500 से 5,500 किलोमीटर की रेंज वाली जमीनी बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें और उनके लांचर सिस्टमों की तैनाती पर रोक लगाने पर सहमति जताई थी। इस संधि को शीत युद्ध की समाप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था।
हालांकि, साल 2019 में अमेरिका इस संधि से एकतरफा रूप से बाहर निकल गया, जिसके बाद रूस ने चेतावनी दी थी कि वह भी अपनी सामरिक रणनीतियों की समीक्षा करेगा। रूस ने तब कहा था कि वह अमेरिका के कदम का जवाब उसी तरीके से देगा, यदि अमेरिका मिसाइलों की तैनाती करता है।

रूस का बयान

रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा,"हम बार-बार इस मुद्दे पर अपनी चिंताएं व्यक्त करते रहे हैं, लेकिन अमेरिका ने हमारे सुझावों और चेतावनियों की उपेक्षा की। अब चूंकि अमेरिका ने खुद मिसाइलों की तैनाती की ओर कदम बढ़ा दिया है, इसलिए रूस भी अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तैनाती पर लगी रोक को हटाने को विवश है।”

वैश्विक चिंता का विषय

रूस के इस कदम से यूरोप और एशिया के देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रूस ने इन मिसाइलों की तैनाती शुरू की, तो इससे परमाणु हथियारों की नई होड़ शुरू हो सकती है, जिससे वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

अमेरिका की प्रतिक्रिया:
फिलहाल अमेरिका की ओर से रूस के इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम नाटो देशों और अमेरिका के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और बिगाड़ सकता है।
रूस और अमेरिका के बीच बढ़ता टकराव वैश्विक सामरिक संतुलन को हिला सकता है। INF संधि से दोनों देशों का बाहर निकलना और मिसाइल तैनाती की दौड़ एक बार फिर शुरू होना न केवल यूरोप बल्कि एशिया और अन्य क्षेत्रों के लिए भी गंभीर खतरे का संकेत है। विशेषज्ञ अब इस बात पर नज़र बनाए हुए हैं कि आने वाले दिनों में दोनों देश अपनी सैन्य रणनीतियों में क्या बदलाव करते हैं।