Ad Image
Ad Image
टाइफून मातमो तूफान को लेकर चीन में ऑरेंज अलर्ट, सेना तैयार || हमास बंधकों को करेगा रिहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा पर बमबारी रोकने को कहा || पहलगाम हमले के बाद पता चला कौन भारत का असली मित्र: मोहन भागवत || भारत के साथ व्यापार असंतुलन कम करने का अपने अधिकारियों को पुतिन का आदेश || मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम की इजरायल से अपील, हिरासत में लिए मेक्सिको के नागरिकों को जल्दी रिहा करें || शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र का मिर्जापुर में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि || स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं: मोहन भागवत || अमित शाह ने कहा, देश अगले 31 मार्च तक नक्सलवादी लाल आतंक से मुक्त होगा || भारतीय क्रिकेट टीम ने जीता एशिया कप, PM समेत पूरे देश ने दी बधाई || तमिलनाडु: एक्टर विजय की रैली में भगदड़, 31 की मौत, 40 से ज्यादा घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

पूर्वी चंपारण: बकरियों ने चबाई मतदाता सूची

लोकल डेस्क, एन.के. सिंह |

बकरियों ने चबाई मतदाता सूची, मतदाता स्तब्ध.... यह नजारा लोकतंत्र की सबसे अहम कड़ी पर सीधा हमला साबित हुआ। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब सूची ही सुरक्षित नहीं तो उनका वोट कैसे सुरक्षित रहेगा।

पूर्वी चंपारण: पताही प्रखंड मुख्यालय में गुरुवार सुबह का दृश्य किसी व्यंग्य चित्र जैसा लग रहा था। वहां लगे मतदाता पुनरीक्षण सूची के पन्ने बकरियां चबाने में मशगूल थीं। कुछ लोग इसे देखकर हंसे तो कुछ भड़क गए। लोकतंत्र के सबसे अहम दस्तावेज को इस हाल में देखना कई लोगों के लिए झटका था।

स्थानीय निवासी ने किया वीडियो वायरल

मोहम्मद हकीम नामक युवक जब अपना नाम सूची में ढूंढने पहुंचे तो यह दृश्य देखकर दंग रह गए। उन्होंने तुरंत मोबाइल निकाला और वीडियो बना डाला। हकीम ने कहा-हम महीनों से नाम जुड़ने का इंतजार कर रहे हैं, अब जब आए तो आधी सूची ही खा ली गई है। यह लापरवाही नहीं, मजाक है हमारे लोकतंत्र के साथ। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों ने चुनाव आयोग को घेरना शुरू कर दिया।

सियासत गरम, सवाल भी गरम

यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब विपक्ष चुनाव आयोग पर लगातार मतदाता सूची से नाम गायब होने का आरोप लगा रहा है। राहुल गांधी से लेकर कई विपक्षी दल 'वोट चोर, गद्दी छोड़' के नारे लगा चुके हैं। ऐसे में पताही की यह घटना आग में घी डालने का काम कर रही है और चुनावी पारदर्शिता पर नई बहस छेड़ रही है।

प्रक्रिया की सुरक्षा पर बड़ा सवाल

मतदाता सूची को चुनाव की रीढ़ माना जाता है। अगर यह सूची सुरक्षित नहीं है तो पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है। पताही की घटना बताती है कि ग्रामीण स्तर पर सिस्टम कितना कमजोर है। चुनाव आयोग के लिए यह चेतावनी है कि वह तुरंत कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।

जनता का भरोसा दांव पर

यह घटना सिर्फ हास्य का विषय नहीं है। यह हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र को हल्के में लेने का परिणाम कितना खतरनाक हो सकता है। अगर मतदाता सूची जैसी बुनियादी चीज सुरक्षित नहीं, तो मतदाता का विश्वास टूटना तय है। अब निगाहें चुनाव आयोग पर हैं कि वह कितनी जल्दी इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करता है।