स्टेट डेस्क, आर्या कुमारी |
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री व जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी के 11 बागी नेताओं को निष्कासित कर दिया है। नीतीश कुमार ने इन नेताओं पर अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए यह कार्रवाई की। यह कदम चुनाव से ठीक पहले पार्टी में अनुशासन और एकजुटता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जेडीयू के प्रदेश महासचिव चंदन कुमार सिंह ने कहा कि यह फैसला पार्टी की साख और अनुशासन को बनाए रखने के लिए लिया गया है। निष्कासित नेता टिकट न मिलने के बाद विभिन्न सीटों से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, जो पार्टी की आधिकारिक नीति के खिलाफ था।
निष्कासित नेताओं में पूर्व मंत्री शैलेश कुमार (जमालपुर), श्याम बहादुर सिंह (बरहरिया) और पूर्व विधायक संजय प्रसाद (चकाई) शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व एमएलसी रणविजय सिंह, विवेक शुक्ला, असमा परवीन, सुधर्शन कुमार, लव कुमार, अमर कुमार सिंह, आशा सुमन और दिव्यांशु भारद्वाज के नाम भी सूची में शामिल हैं।
चुनाव से ठीक पहले इस सख्त कदम ने कई लोगों को चौंका दिया है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है। नीतीश कुमार का यह फैसला पार्टी को एकजुट दिखाने और अंदरूनी असंतोष को नियंत्रित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम जेडीयू को एक मजबूत और अनुशासित छवि देने में मदद करेगा।
अब निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे ये बागी नेता जेडीयू के समर्थन के बिना मतदाताओं का भरोसा जीतने की चुनौती का सामना करेंगे। पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है, और अब उन्हें अपनी व्यक्तिगत साख पर निर्भर रहना होगा। निष्कासित नेताओं की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।







