स्टेट डेस्क - प्रीति पायल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान, RJD नेता तेजस्वी यादव ने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की। एक प्राइवेट इंटरव्यू में तेजस्वी ने ओवैसी को 'चरमपंथी', 'कट्टरपंथी' और 'आतंकवादी' जैसे शब्दों से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ओवैसी की "टोपी और दाढ़ी" देखकर ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह बयान तब आया जब AIMIM ने महागठबंधन से सीट-शेयरिंग की मांग की थी, लेकिन RJD ने इनकार कर दिया था। बाद में तेजस्वी ने इसे 'चरमपंथी राजनीति' का मुद्दा बताकर सफाई देने की कोशिश की।
किशनगंज में एक रैली के दौरान ओवैसी ने जोरदार जवाब दिया। उन्होंने तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा कि क्या धार्मिक पहचान के कारण कोई व्यक्ति चरमपंथी बन जाता है। ओवैसी ने इसे "सीमांचल के लोगों का अपमान" करार दिया और तेजस्वी पर "नफरत की भाषा" बोलने का आरोप लगाया।
AIMIM के एक उम्मीदवार ने तो धमकी भरे बयान तक दिए, जो वायरल हो गए।
यह विवाद उस समय हुआ जब AIMIM ने महागठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। AIMIM का फोकस सीमांचल क्षेत्र पर है, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। RJD को चिंता है कि वोट बंटवारे से NDA को लाभ हो सकता है।
सोशल मीडिया पर मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर, अधिकांश मुस्लिम मतदाता तेजस्वी के बयान से नाराज दिखाई दे रहे हैं। कई लोगों ने इसे धार्मिक पूर्वाग्रह और समुदायिक अपमान करार दिया है। हालांकि कुछ समर्थन भी मिला है, लेकिन यह अल्पमत में है।
यह विवाद चुनावी राजनीति को और भी व्यक्तिगत बना रहा है। AIMIM की अलग राह से महागठबंधन के लिए चुनौती बढ़ सकती है, विशेषकर सीमांचल में जहां मुस्लिम वोटर्स का महत्वपूर्ण प्रभाव है। इससे वोट विभाजन की स्थिति बन सकती है, जिसका फायदा NDA को हो सकता है







