
स्टेट डेस्क, ऋषि राज |
बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची पर संग्राम:तेजस्वी यादव की अपील बेअसर, राजद ने अब तक केवल 10 दावे-आपत्तियां दीं...
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण राजनीतिक विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है। राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे गरीब और वंचित वर्ग का नाम काटने की साजिश बताते हुए लगातार राज्यभर में यात्राएं कीं और जनता से अपील की कि वे अपना नाम मतदाता सूची में अवश्य जुड़वाएं। बावजूद इसके, अंतिम चरण में आते-आते राजद की तरफ से चुनाव आयोग को अब तक मात्र 10 आपत्ति और दावा ही सौंपे गए हैं।
तेजस्वी की अपील पर भी पार्टी कार्यकर्ताओं की सुस्ती
तेजस्वी यादव ने 25 अगस्त को वीडियो संदेश जारी कर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय हों और जिन लोगों का नाम काटा गया है या जो नए वोटर बने हैं, उनके नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए आवेदन करें। इसके बावजूद, 1 सितंबर (सोमवार) को दावे-आपत्तियों की अंतिम तिथि समाप्त होने से पहले तक पार्टी की ओर से केवल 10 मामलों में ही आवेदन जमा कराए गए। यह स्थिति खुद राजद की तैयारी और सक्रियता पर सवाल खड़े करती है।
विपक्ष की भूमिका और संदेह
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जब नेता प्रतिपक्ष खुद इतने आक्रामक तरीके से ‘गरीबों के नाम काटने की साजिश’ का आरोप लगा रहे थे, तब उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में दावे और आपत्तियां दाखिल की जाएंगी। लेकिन आंकड़े इसके उलट कहानी कह रहे हैं। यही कारण है कि विपक्ष की गंभीरता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
कुल आंकड़े और विपक्ष की स्थिति
चुनाव आयोग के अनुसार, सत्ता और विपक्ष की कुल 12 राष्ट्रीय व प्रांतीय पार्टियां इस प्रक्रिया में शामिल हुईं। इसमें कुल 1.60 लाख बूथ-लेवल वोटर सूची संशोधन के दौरान अब तक 128 मामले ही विपक्ष की ओर से दायर किए गए। जबकि खुद मतदाता सूची पुनरीक्षण में आयोग को अब तक 33,326 नाम जोड़ने और 2,07,565 नाम हटाने के दावे-आपत्तियां प्राप्त हुईं। इनमें से 38,342 मामलों का निपटारा भी कर दिया गया है।
वहीं, 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके 15.32 लाख नए मतदाताओं ने अपना नाम जुड़वाने के लिए आवेदन दिया है। इनमें से भी अधिकांश मामलों का निपटारा किया जा चुका है।
कांग्रेस का आरोप और महागठबंधन की स्थिति
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने भी आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि पार्टी ने 89 लाख मामलों की शिकायत चुनाव आयोग से की थी, लेकिन आयोग ने उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। वहीं, CPI-ML ने 15 नाम जोड़ने और 103 नाम हटाने की प्रक्रिया के तहत आवेदन किया है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और विपक्ष की चिंता
मतदाता सूची से नाम काटे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी विपक्षी दलों से गंभीर सवाल पूछे थे कि जब इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाए गए हैं, तब पार्टियों की ओर से ठोस आपत्तियां क्यों नहीं दी गईं। अदालत ने आधार-लिंकिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के आदेश भी दिए।
अब जबकि दावे-आपत्तियों की अंतिम तिथि बीत चुकी है और राजद का आंकड़ा मात्र 10 पर अटका है, यह साफ हो गया है कि तेजस्वी यादव की अपील का पार्टी के कार्यकर्ताओं पर खास असर नहीं हुआ। यह न केवल विपक्ष की सक्रियता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि चुनावी रणनीति और तैयारी की कमजोरी को भी उजागर करता है।