
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
बिहार में डोमिसाइल नीति लागू: अब शिक्षक बहाली में मिलेगा सिर्फ बिहारवासियों को लाभ, मानदेय में भी बड़ी बढ़ोतरी..
बिहार सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और स्थानीय युवाओं को अवसर प्रदान करने के लिए बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा की कि अब राज्य में होने वाली शिक्षक बहाली की प्रक्रिया में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए राज्य में डोमिसाइल नीति को लागू किया जा रहा है। यह नीति आगामी टीआरई-4 (Teacher Recruitment Examination-4) से प्रभावी होगी और आगे की सभी शिक्षक बहालियों पर लागू रहेगी।
शिक्षक नियुक्तियों में डोमिसाइल अनिवार्य
मुख्यमंत्री ने कहा, "शिक्षकों की बहाली में बिहार के निवासियों (डोमिसाइल) को प्राथमिकता देने हेतु शिक्षा विभाग को संबंधित नियम में आवश्यक संशोधन करने का निर्देश दिया गया है।" यह स्पष्ट है कि अब शिक्षक पदों के लिए वही अभ्यर्थी प्राथमिकता पाएंगे, जो बिहार के स्थायी निवासी होंगे। सरकार का यह निर्णय न केवल राज्य के युवाओं को रोजगार देने में मदद करेगा, बल्कि बाहरी राज्यों से आकर प्रतियोगिता करने वाले उम्मीदवारों की संख्या को सीमित करेगा।
टीआरई-4 और टीआरई-5 की तैयारी
नीतीश कुमार ने यह भी बताया कि वर्ष 2025 में टीआरई-4 और 2026 में टीआरई-5 का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही टीआरई-5 के पहले एसटीईटी (Secondary Teacher Eligibility Test) के आयोजन का भी निर्देश दिया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक बहाली प्रक्रिया में केवल योग्य और प्रमाणित उम्मीदवार ही शामिल हों।
शिक्षकों की बड़ी संख्या में बहाली
मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में यह भी दोहराया कि उनकी सरकार नवंबर 2005 से लगातार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में जुटी हुई है। उन्होंने कहा, "शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण हेतु बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।" यह बयान स्पष्ट करता है कि आने वाले वर्षों में हजारों शिक्षकों की बहाली होने वाली है, और यह प्रक्रिया अब पूरी तरह से बिहार डोमिसाइल नीति के अंतर्गत संचालित की जाएगी।
मानदेय में भी की गई दोगुनी वृद्धि
नीतीश सरकार ने न केवल बहाली प्रक्रिया में बदलाव किया है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सहयोगी कर्मचारियों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने 1 अगस्त को घोषणा की कि शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि की गई है।
- मध्याह्न भोजन योजना के रसोइयों का मानदेय ₹1,650 से बढ़ाकर ₹3,300 प्रति माह कर दिया गया है।
- माध्यमिक और उच्च विद्यालयों में कार्यरत रात्रि प्रहरियों का मानदेय ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 प्रति माह कर दिया गया है।
- शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय ₹8,000 से बढ़ाकर ₹16,000 प्रति माह कर दिया गया है।
सरकार का उद्देश्य: शिक्षा की गुणवत्ता और रोजगार दोनों में सुधार
नीतीश कुमार ने कहा कि ये फैसले सिर्फ बहाली तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे शिक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए ठोस कदम हैं। रसोइयों, प्रहरियों और अनुदेशकों की भूमिका को सराहते हुए उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी *शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रखने में अहम योगदान देते हैं*, इसलिए इन्हें आर्थिक रूप से सम्मानित करना भी जरूरी था।
बिहार सरकार का यह कदम राज्य के लाखों युवा अभ्यर्थियों के लिए एक सकारात्मक संदेश है। डोमिसाइल नीति से अब राज्य के छात्र-छात्राओं को अधिक अवसर मिलेंगे और शिक्षा व्यवस्था में भी स्थायित्व आएगा। साथ ही, मानदेय में हुई बढ़ोतरी से शिक्षा से जुड़े सहयोगी कर्मचारियों को सम्मान और बेहतर जीवन स्तर मिलेगा। यह फैसला राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।