
नई दिल्ली
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चल रहे बवाल के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि भारतीय सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) ने पाकिस्तान को उनके क्षेत्र में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने के बाद ही उन्हें सूचित किया था। यह एक सामान्य प्रक्रिया है | जयशंकर ने ‘एक्स’ पर विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए तस्वीरें साझा कीं।
जयशंकर ने यह भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान से कभी बात नहीं की और अमेरिका के कथित ‘हस्तक्षेप’ के बारे में स्पष्ट किया कि सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय पाकिस्तान की ओर से अनुरोध के बाद द्विपक्षीय रूप से लिया गया था। इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है | एस. जयशंकर ने विदेश मामलों की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को तभी रोका गया जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने इसे रोकने के लिए कहा।
संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका नहीं
दोनों देशों के बीच हुए संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका और इसको लेकर राष्ट्रपति ट्रम्प के दावों को ख़ारिज करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं है। कांग्रेस और राहुल गांधी, जयशंकर पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने आतंकी शिविरों पर भारतीय हमलों के बारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने बैठक में सांसदों को बताया कि केवल दोनों देशों के डीजीएमओ ने एक-दूसरे से बात की और किसी अन्य भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तानी पक्ष से बात नहीं की।
विदेशमंत्री ने कहा कि भारत से पाकिस्तान से बात करने का आग्रह करने वाले अमेरिका को बताया गया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती। बैठक के दौरान सांसदों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोकने और अमेरिकी ‘हस्तक्षेप’ के बारे में पूछे गए कई सवालों के जवाब में बताया कि डीजीएमओ ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को सूचित किया था कि अगर वे गोलीबारी करेंगे, तो भारत जवाबी गोलीबारी करेगा।