मुस्कान कुमारी, हेल्थ डेस्क
कैंसर आज दुनिया की सबसे जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन चुका है, लेकिन शुरुआती जांच और सही जीवनशैली से लाखों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। हर साल 7 नवंबर को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में प्रतिवर्ष करीब 11 लाख नए मामले दर्ज हो रहे हैं, जिनमें से दो-तिहाई उन्नत अवस्था में पकड़े जाते हैं। यह दिवस मैरी क्यूरी की जयंती पर मनाया जाता है, जिनकी खोज ने कैंसर उपचार में क्रांति ला दी। 2014 में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन द्वारा शुरू यह अभियान शुरुआती जांच, रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली पर जोर देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 70 प्रतिशत कैंसरों को रोका जा सकता है, अगर हम सतर्क रहें।
मैरी क्यूरी की विरासत: कैंसर से जंग का प्रतीक
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस का महत्व मैरी क्यूरी की जन्म तिथि से जुड़ा है, जिन्होंने रेडियम और पोलोनियम की खोज कर कैंसर के इलाज में नई राह दिखाई। उनकी खोज से विकसित रेडियोथेरेपी आज लाखों मरीजों की जिंदगी बचा रही है। भारत में यह दिवस 2014 से मनाया जा रहा है, जब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कैंसर के बढ़ते बोझ को रोकने के लिए जागरूकता अभियान की शुरुआत की। आंकड़े चौंकाने वाले हैं—राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार, 2022 में 14.61 लाख नए मामले दर्ज हुए, जो 2025 तक 12.8 प्रतिशत बढ़कर 16.5 लाख तक पहुंच सकते हैं। दो-तिहाई मामलों में देरी से पता चलने से मरीजों की जीवित रहने की संभावना घट जाती है। महिलाओं में हर 8 मिनट में एक सर्वाइकल कैंसर से मौत हो रही है, जबकि पुरुषों में फेफड़े और मुंह के कैंसर 25 प्रतिशत मौतों का कारण हैं। यह दिवस न सिर्फ जागरूकता फैलाता है, बल्कि स्वस्थ आहार, व्यायाम और जांच को प्रोत्साहित करता है।
भारत में 5 सबसे घातक कैंसर: जोखिम कारक और शुरुआती संकेत
भारत में कैंसर का बोझ आनुवंशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, तंबाकू, प्रदूषण और असंतुलित आहार मुख्य दोषी हैं। यहां पांच उच्च जोखिम वाले कैंसरों पर नजर डालें, जो लाखों भारतीयों को निगल रहे हैं।
स्तन कैंसर: महिलाओं का सबसे बड़ा खतरा
स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में सबसे आम है, खासकर प्रजनन आयु की महिलाओं में। पारिवारिक इतिहास, मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली और देरी से बच्चा पैदा करना इसके जोखिम बढ़ाते हैं। शुरुआती जांच से 90 प्रतिशत मामलों में इलाज संभव है। स्व-जांच और मैमोग्राफी से गांठ या बदलाव का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि 40 वर्ष से ऊपर की महिलाएं सालाना जांच कराएं।
मुंह का कैंसर: तंबाकू का जहर
मुंह का कैंसर पुरुषों में खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग में प्रचलित है। तंबाकू चबाना, धूम्रपान और शराब इसके मुख्य कारण हैं। मुंह में अल्सर, जीभ पर सफेद-लाल पैच या लगातार दर्द शुरुआती संकेत हैं। रोकथाम आसान—तंबाकू छोड़ें और नियमित दंत चिकित्सक जांच कराएं। भारत में यह कैंसर मृत्यु दर का 25 प्रतिशत हिस्सा है।
सर्वाइकल कैंसर: एचपीवी का कहर
सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में होता है और मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) इसका प्रमुख कारण है। निम्न सामाजिक-आर्थिक समूहों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से यह फैलता है। एचपीवी वैक्सीन और पाप स्मीयर टेस्ट से 80 प्रतिशत रोकथाम संभव है। महिलाओं को 21 वर्ष से वैक्सीनेशन और 30 वर्ष से सालाना टेस्ट की सलाह दी जाती है।
फेफड़ों का कैंसर: धूम्रपान और प्रदूषण की मार
धूम्रपान, वायु प्रदूषण और एस्बेस्टस जैसे रसायनों से फेफड़ों का कैंसर बढ़ रहा है। लगातार खांसी, सांस फूलना और वजन घटना इसके लक्षण हैं। धूम्रपान छोड़ना सबसे बड़ा कदम है, जो जोखिम को 50 प्रतिशत कम कर सकता है। शहरी प्रदूषण वाले इलाकों में मास्क पहनें और सालाना सीटी स्कैन कराएं।
कोलोरेक्टल कैंसर: जंक फूड का नुकसान
आंत या मलाशय में विकसित होने वाला यह कैंसर प्रोसेस्ड फूड, कम फाइबर और निष्क्रियता से जुड़ा है। कोलोनोस्कोपी से शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है। सब्जियां, फल और व्यायाम से 30 प्रतिशत जोखिम घटता है। 50 वर्ष से ऊपर के लोगों को जांच जरूरी है।
रोकथाम के सरल उपाय: आज से अपनाएं, कल को बचाएं
कैंसर पूरी तरह रोका न जा सके, लेकिन जीवनशैली से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। तंबाकू हर रूप में त्यागें—यह भारत में एक-तिहाई मामलों का कारण है। एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार लें: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दालें ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करेंगी। रोज 30 मिनट व्यायाम से इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। नियमित जांच न भूलें—स्तन, सर्वाइकल और मुंह के कैंसर के लिए डॉक्टर से सलाह लें। संक्रमणों से बचाव के लिए एचपीवी और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लें। प्रदूषण से दूर रहें, मास्क पहनें। ये छोटे कदम लाखों जिंदगियां बचा सकते हैं।
जागरूकता ही हथियार: सामाजिक कलंक तोड़ें, समर्थन दें
यह दिवस न सिर्फ जांच पर जोर देता है, बल्कि कैंसर सर्वाइवर्स और उनके परिवारों के लिए सहयोग प्रणाली बनाने की अपील करता है। सामाजिक कलंक और गलत सूचनाओं को दूर करने की जरूरत है। शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रीनिंग प्रोग्राम मजबूत हों, ताकि हर कोई लाभान्वित हो। 2025 का थीम 'यूनाइटेड बाय यूनिक' व्यक्तिगत कहानियों पर फोकस करता है, जो कैंसर से जंग को मानवीय बनाता है।







