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भारत रत्न की मांग तेज: डॉ. हेडगेवार को राष्ट्रवाद का प्रथम प्रवर्तक बताया

नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |

आरएसएस संस्थापक डॉ. हेडगेवार को भारत रत्न देने की मांग तेज, भंते संघप्रिय राहुल बोले– राष्ट्रवाद के प्रथम प्रवर्तक थे हेडगेवार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक और पहले सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को भारत रत्न दिए जाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। यह मांग भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने उठाई है। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार न केवल एक संगठनकर्ता थे, बल्कि वे सच्चे राष्ट्रवादी और भारत को “विश्व गुरु” बनाने की कल्पना रखने वाले दूरदर्शी विचारक थे।

भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने अपने जीवन को राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित किया। उन्होंने उस दौर में देशवासियों में राष्ट्रवाद की भावना जगाई, जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उनके राष्ट्रवादी विचारों ने देश के युवाओं को एक नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि “डॉ. हेडगेवार राष्ट्रवाद के प्रथम प्रवर्तक थे। उन्होंने हिंदू, हिंदी और हिंदुस्तान को एकजुट करने के लिए आजीवन संघर्ष किया।”

उन्होंने आगे कहा कि हेडगेवार का सपना था कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बने जो विश्व में अपनी पहचान राष्ट्रवादी मूल्यों के आधार पर कायम करे। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसी दिशा में काम कर रहा है और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचा रहा है।

डॉ. हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य भारत में राष्ट्रभावना को मजबूत करना और समाज को एकजुट करना था। उन्होंने भारतीय संस्कृति, परंपरा और भाषा को सम्मान दिलाने के लिए लगातार काम किया। उनके नेतृत्व में संघ ने देश के युवाओं में अनुशासन, सेवा और समर्पण की भावना पैदा की।

भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि आज आरएसएस न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में सक्रिय है। यह संगठन समाज सेवा, शिक्षा, और राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, “डॉ. हेडगेवार की दूरदर्शी सोच और संगठन क्षमता का ही परिणाम है कि आज संघ एक विशाल वृक्ष बन चुका है। उनकी सोच ने देश को मजबूत बनाया और भारत को विश्व पटल पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।”

उन्होंने आगे कहा कि “डॉ. हेडगेवार के योगदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। यह केवल उनका नहीं बल्कि उस विचारधारा का सम्मान होगा जिसने देश को आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दी है।”

राहुल ने सरकार से अपील की कि डॉ. हेडगेवार जैसे राष्ट्रनायकों के योगदान को इतिहास में उचित स्थान दिया जाए और उनके आदर्शों को शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी राष्ट्र सेवा के प्रति प्रेरित हों।

डॉ. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर में हुआ था। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की, लेकिन देशभक्ति की भावना ने उन्हें राजनीति और समाजसेवा की ओर प्रेरित किया। वे कांग्रेस के सक्रिय सदस्य भी रहे, लेकिन बाद में उन्होंने स्वतंत्र रूप से संगठन निर्माण की दिशा में काम शुरू किया।

भंते संघप्रिय राहुल ने अंत में कहा, “हेडगेवार ने जो बीज बोया था, आज वह विशाल वटवृक्ष बन चुका है। उनका जीवन देश के लिए समर्पण और संगठन शक्ति का प्रतीक है। उन्हें भारत रत्न देना राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सच्चा सम्मान होगा।”