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भारत-EU के 4 देशों में मुक्त व्यापार समझौता, उपभोक्ताओं को फायदा

विदेश डेस्क, श्रेया पांडेय |

भारत और यूरोपीय संघ के चार देशों के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता लागू: उपभोक्ताओं को मिल सकता है लाभ

भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association - EFTA) के चार सदस्य देशों – स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन – के साथ एक महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement - FTA) लागू कर दिया है। इस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए कई वस्तुओं के सस्ते होने की संभावना है। यह समझौता भारत के लिए यूरोपीय बाजारों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करेगा और साथ ही देश में 100 बिलियन डॉलर का निवेश भी आकर्षित करेगा, जिससे आने वाले 15 वर्षों में लगभग 10 लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा होने का अनुमान है।

यह समझौता, जिसे व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (Trade and Economic Partnership Agreement - TEPA) नाम दिया गया है, भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यूरोप में एक रणनीतिक व्यापारिक साझेदारी बनाता है, जो न केवल टैरिफ (आयात शुल्क) को कम करेगा बल्कि भारतीय व्यवसायों के लिए एक स्थिर और विश्वसनीय व्यापार वातावरण भी प्रदान करेगा। इस समझौते के तहत, ईएफटीए देश भारतीय वस्तुओं जैसे कि कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, और इंजीनियरिंग उत्पादों पर लगाए जाने वाले टैरिफ को काफी हद तक समाप्त या कम करेंगे। इससे इन भारतीय उत्पादों की यूरोपीय बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

भारतीय उपभोक्ताओं के लिए, यह एफटीए कई तरह के आयातित उत्पादों को सस्ता कर सकता है। ईएफटीए देश उच्च गुणवत्ता वाले चॉकलेट, घड़ियाँ, फार्मा उत्पाद, मेडिकल उपकरण और कुछ औद्योगिक मशीनरी के लिए जाने जाते हैं। चूंकि ये देश इन उत्पादों पर अपने आयात शुल्क को कम या समाप्त करेंगे, इसलिए भारत में इन वस्तुओं का अंतिम खुदरा मूल्य घटने की संभावना है। उदाहरण के लिए, स्विट्जरलैंड की प्रसिद्ध घड़ियाँ, नॉर्वे से आने वाले कुछ समुद्री खाद्य उत्पाद, या उन्नत चिकित्सीय उपकरण भारतीय बाजार में अधिक किफायती हो सकते हैं। इससे मध्यम वर्ग और उच्च आय वर्ग के उपभोक्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा, जिन्हें अब कम कीमतों पर प्रीमियम यूरोपीय उत्पाद उपलब्ध होंगे।

हालांकि, एफटीए का प्रभाव केवल सस्ते आयात तक ही सीमित नहीं है। इस समझौते में निवेश और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं। ईएफटीए देशों ने भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह निवेश मुख्य रूप से विनिर्माण, प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा और फार्मा जैसे क्षेत्रों में आएगा। इस बड़े पैमाने के निवेश से भारत में विनिर्माण क्षमता बढ़ेगी, उन्नत तकनीकें आएंगी और सबसे महत्वपूर्ण, बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा। सरकार का अनुमान है कि यह समझौता अकेले 10 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करेगा।

कुल मिलाकर, भारत-ईएफटीए एफटीए भारत की "मेक इन इंडिया" और निर्यात-केंद्रित अर्थव्यवस्था की नीति को एक बड़ी मजबूती प्रदान करता है। यह समझौता यूरोपीय बाजारों में भारतीय निर्यातकों के लिए एक नया द्वार खोलता है और साथ ही देश में विश्व स्तरीय निवेश और अत्याधुनिक तकनीक लाने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह एक जीत की स्थिति (Win-Win Situation) है, जहाँ भारतीय उपभोक्ताओं को कम कीमतों का लाभ मिलेगा और भारतीय उद्योग एक मजबूत वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे। आने वाले वर्षों में, इस समझौते का वास्तविक आर्थिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।