Ad Image
Ad Image
टाइफून मातमो तूफान को लेकर चीन में ऑरेंज अलर्ट, सेना तैयार || हमास बंधकों को करेगा रिहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा पर बमबारी रोकने को कहा || पहलगाम हमले के बाद पता चला कौन भारत का असली मित्र: मोहन भागवत || भारत के साथ व्यापार असंतुलन कम करने का अपने अधिकारियों को पुतिन का आदेश || मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम की इजरायल से अपील, हिरासत में लिए मेक्सिको के नागरिकों को जल्दी रिहा करें || शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र का मिर्जापुर में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि || स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं: मोहन भागवत || अमित शाह ने कहा, देश अगले 31 मार्च तक नक्सलवादी लाल आतंक से मुक्त होगा || भारतीय क्रिकेट टीम ने जीता एशिया कप, PM समेत पूरे देश ने दी बधाई || तमिलनाडु: एक्टर विजय की रैली में भगदड़, 31 की मौत, 40 से ज्यादा घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

भारत-चीन की नई पहल: आतंकवाद विरोध पर सहमति

विदेश डेस्क, श्रेया पांडेय |

नई दिल्ली में मंगलवार को भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक बैठक आयोजित की गई, जिसमें चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर आमने-सामने आए। इस मुलाकात का केंद्र बिंदु दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई को मजबूत करना रहा। हाल के वर्षों में भारत और चीन के रिश्ते सीमा विवादों, सुरक्षा चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित रहे हैं, लेकिन इस बैठक ने संकेत दिया कि दोनों देश संवाद के माध्यम से आगे बढ़ने और साझेदारी को नए आयाम देने की इच्छाशक्ति रखते हैं।

जयशंकर और वांग यी के बीच हुई वार्ता के दौरान भारत ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद केवल किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरा है। भारत ने दोहराया कि किसी भी रूप में आतंकवाद को प्रोत्साहित करना या समर्थन देना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए घातक है। इस पर चीन ने भी सहमति जताई और कहा कि वह आतंकवाद के विरुद्ध भारत के साथ खड़ा है। वांग यी ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन चाहता है कि दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग का माहौल बने, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास के अवसर बढ़ सकें।

बैठक में सीमा प्रबंधन पर भी चर्चा हुई। पिछले कुछ वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बार-बार तनाव देखने को मिला है। दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि सीमा विवाद का समाधान तुरंत संभव नहीं है, लेकिन इसे शांतिपूर्ण तरीके से और आपसी समझ के आधार पर संभाला जा सकता है। जयशंकर ने कहा कि सीमाओं पर शांति और स्थिरता भारत-चीन संबंधों की नींव है। इस पर वांग यी ने भी सहमति जताई और भरोसा दिलाया कि चीन बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाने के लिए तैयार है।

आतंकवाद पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए, दोनों देशों ने यह भी माना कि नए युग में आतंकवादी संगठन डिजिटल प्लेटफार्म और साइबर स्पेस का उपयोग बढ़ा रहे हैं, जो एक गंभीर चुनौती है। इस संदर्भ में भारत और चीन ने तकनीकी सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने की संभावनाओं पर बातचीत की। यह पहल दोनों देशों को न केवल द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि वैश्विक मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) पर भी सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान कर सकती है।

बैठक का एक और अहम पहलू यह रहा कि दोनों देशों ने व्यापारिक संबंधों और आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा की। चीन ने संकेत दिया कि वह भारतीय कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहता है। वहीं, भारत ने कहा कि पारदर्शी और संतुलित व्यापारिक वातावरण ही दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुंचा सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं बल्कि भविष्य में भारत और चीन के संबंधों की दिशा तय करने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है। आतंकवाद के खिलाफ साझा रुख अपनाना दोनों देशों के लिए न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह संकेत भी देता है कि एशिया की दो बड़ी शक्तियां अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

कुल मिलाकर, वांग यी और जयशंकर की यह मुलाकात एक सकारात्मक संदेश लेकर आई है। भले ही सभी विवाद एक ही बैठक में खत्म नहीं हो सकते, लेकिन संवाद की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि भारत और चीन बातचीत, समझौते और सहयोग के जरिए बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाने को तैयार हैं।