
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
भारत और जापान के राज्यों-प्रांतों में सहयोग बढ़ाना समय की मांग: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान की यात्रा के दौरान वहां के विभिन्न प्रांतों के गवर्नरों से मुलाकात कर भारत-जापान संबंधों को और गहराई देने पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि आज जब दुनिया तेज़ी से बदल रही है और वैश्विक चुनौतियाँ नए स्वरूप ले रही हैं, तब भारत और जापान जैसे लोकतांत्रिक व साझेदार देशों के बीच न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि उनके राज्यों और प्रांतों के बीच भी सीधा सहयोग बढ़ाना बेहद आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान के संबंध सदियों पुराने और गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव पर आधारित हैं। लेकिन 21वीं सदी में इन संबंधों का असली विस्तार तभी होगा जब दोनों देशों के राज्यों और प्रांतों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य, निवेश, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सीधा सहयोग होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्यों और प्रांतों के बीच होने वाला यह सहयोग दोनों देशों की जनता के बीच आपसी विश्वास और सहभागिता को और मज़बूत करेगा।
मोदी ने शनिवार को जापान के 16 प्रांतों के गवर्नरों के साथ विस्तार से बातचीत की। उन्होंने इस दौरान भारत के राज्यों में चल रही विभिन्न विकास योजनाओं की जानकारी साझा की और जापानी प्रांतों को इन योजनाओं में साझेदारी करने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और जापान की तकनीकी क्षमता मिलकर दोनों देशों के लिए नए अवसर पैदा कर सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के राज्य और जापान के प्रांत अगर सीधे एक-दूसरे के साथ काम करेंगे तो इससे दोनों देशों की मैत्री और भी मज़बूत होगी। यह सहयोग भारत-जापान मैत्री का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकता है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जापान के कुछ प्रांतों ने पहले से ही भारत के राज्यों में निवेश और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिनसे अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
मोदी ने जापानी गवर्नरों से आग्रह किया कि वे भारत के राज्यों के साथ व्यापार, पर्यटन और कौशल विकास के क्षेत्रों में समझौते करें। उन्होंने यह भी कहा कि जापान की उच्च तकनीक और भारत का युवा व कुशल कार्यबल मिलकर एक मज़बूत विकास मॉडल तैयार कर सकते हैं।
जापान यात्रा के दूसरे दिन हुई इस मुलाकात को द्विपक्षीय संबंधों में एक अहम कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-जापान की साझेदारी अगर राज्यों और प्रांतों के स्तर तक मज़बूत होती है तो इससे न केवल दोनों देशों के आर्थिक संबंध गहरे होंगे बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को भी नई दिशा मिलेगी।