
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
दिसंबर में भारत आएंगे पुतिन: भारत-रूस संबंधों में नई ऊर्जा की उम्मीद....
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आगामी दिसंबर माह में भारत की यात्रा पर आएंगे। इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर बैठक में शामिल होंगे। रूस के राष्ट्रपति के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सहयोगी यूरी उशाकोव ने मॉस्को में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग में यह जानकारी दी।
वार्षिक शिखर सम्मेलन की अहमियत
भारत और रूस के बीच पिछले दो दशकों से वार्षिक शिखर बैठक की परंपरा रही है। इस बैठक को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है। पुतिन की यात्रा इसलिए भी खास होगी क्योंकि बीते कुछ वर्षों में यूक्रेन युद्ध, पश्चिमी देशों के साथ रूस के तनाव और बदलते वैश्विक समीकरणों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को गहराई से प्रभावित किया है। ऐसे में भारत और रूस की साझेदारी पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी होंगी।
ऊर्जा और रक्षा सहयोग पर फोकस
सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी सहयोग मुख्य एजेंडा रहेंगे। रूस भारत का एक प्रमुख रक्षा साझेदार है और बीते समय में दोनों देशों के बीच कई रणनीतिक समझौते हुए हैं। एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सहयोग जैसी योजनाओं पर भी चर्चा हो सकती है। साथ ही, रूस से कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा।
वैश्विक मुद्दों पर चर्चा
पुतिन और मोदी की बातचीत में यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान की स्थिति, आतंकवाद से निपटने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। भारत हमेशा से वार्ता और कूटनीति के माध्यम से विवादों को सुलझाने की वकालत करता रहा है, और इस दृष्टिकोण पर रूस का भी ध्यान रहेगा।
ब्रिक्स और बहुपक्षीय मंच
हाल ही में ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों पर भारत और रूस ने मिलकर कई अहम कदम उठाए हैं। पुतिन की यात्रा से इन बहुपक्षीय मंचों में सहयोग और मजबूत होने की उम्मीद है। भारत, रूस को एशिया में अपने विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखता है, वहीं रूस भी भारत को संतुलनकारी शक्ति मानता है।
दिसंबर में होने वाली यह यात्रा भारत-रूस मैत्री को नई ऊर्जा देने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मौजूदा हालात में संतुलन बनाने में मददगार साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा दोनों देशों के बीच दशकों पुराने विश्वास और सहयोग को और गहरा करेगा।