
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को तियानजिन में मुलाकात कर क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। दोनों नेताओं ने इस अवसर पर कहा कि भारत और रूस ने हमेशा कठिन समय में एक-दूसरे का साथ दिया है और यह साझेदारी केवल द्विपक्षीय हितों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी अहम है।
यह बैठक ऐसे समय में हुई जब अमेरिका ने विभिन्न देशों पर नया आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे वैश्विक स्तर पर आर्थिक अस्थिरता का माहौल बन गया है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत और रूस की वार्ता अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-रूस की साझेदारी दशकों से समय की कसौटी पर खरी उतरी है। दोनों देशों ने हर चुनौती का डटकर सामना किया है और आपसी संबंधों को और मजबूत बनाया है। पुतिन के साथ बातचीत में मोदी ने यूक्रेन संघर्ष का भी उल्लेख किया और उम्मीद जताई कि यह युद्ध जल्द समाप्त होगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, बैठक के दौरान आर्थिक, वित्तीय, ऊर्जा सहित द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा की गई। दोनों नेताओं ने संबंधों की मजबूती पर संतोष जताया और विशेष व विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
मोदी ने कहा कि भारत और रूस लगातार संपर्क में हैं और कई उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दिसंबर में भारत में 23वां शिखर सम्मेलन आयोजित होगा, जिसके लिए 140 करोड़ भारतीय उत्सुकता से राष्ट्रपति पुतिन का इंतजार कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी-पुतिन वार्ता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देशों की दोस्ती भरोसे और परस्पर सहयोग की नींव पर टिकी है, जो बदलते वैश्विक परिदृश्य में और भी प्रासंगिक होती जा रही है।
यह मुलाकात भारत-रूस संबंधों की मजबूती का प्रतीक मानी जा रही है और आने वाले महीनों में द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की उम्मीद जताई जा रही है।