Ad Image
Ad Image
दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराधियों के लिए चलाया साईं हॉक अभियान, 48 घंटे में 800 गिरफ्तार || झारखंड की मंत्री दीपिका पाण्डेय का EC पर हमला, SIR के कारण हारा महागठबंधन || पूर्वी चंपारण के रक्सौल में VIP पार्टी के अनुमंडल प्रमुख की गोली मार हत्या || राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन से शांति समझौते के प्रस्ताव को जल्दी स्वीकार करने का आग्रह किया || ईरान पर अमेरिका की सख्ती, आज नए प्रतिबंधों का किया ऐलान || BJP को 90 पर लीड, JDU को 80 पर लीड, महागठबंधन फेल || नीतीश कुमार CM हैं और आगे भी रहेंगे: जेडीयू की प्रतिक्रिया || NDA को शानदार बढ़त, 198 पर लीड जबकि महागठबंधन को 45 पर लीड || तुर्की : सैन्य विमान दुर्घटना में मृत सभी 20 सैनिकों के शव बरामद || RJD के एम एल सी सुनील सिंह का भड़काऊ बयान, DGP के आदेश पर FIR

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

मंत्री दीपिका पांडेय सिंह का आरोप: 65 लाख वोटर के नाम कटने से हारा महागठबंधन

स्टेट डेस्क वेरॉनिका राय

झारखंड की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गंभीर सवाल उठाते हुए बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि महागठबंधन की हार किसी राजनीतिक लहर का नहीं, बल्कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हुई हेराफेरी का परिणाम है।

मंत्री सिंह ने दावा किया कि चुनाव के अंतिम चरण में अचानक एसआईआर (Special Summary Revision) प्रक्रिया लागू की गई, जिसके तहत करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए। उनके अनुसार, यह कदम न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि चुनाव परिणाम को सीधे-सीधे प्रभावित भी करता है।

दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटना साधारण चूक नहीं हो सकती। उन्होंने दावा किया कि जिन क्षेत्रों में महागठबंधन मजबूत स्थिति में था, वहीं पर सबसे अधिक वोट हटाए गए।

उनके अनुसार, “जब लाखों वैध वोटर अचानक सूची से गायब जाएं, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर प्रहार है। महागठबंधन की हार का एक प्रमुख कारण यही वोटर लिस्ट में की गई गड़बड़ी है।”

मंत्री सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया को सही समय पर नहीं, बल्कि चुनाव के बीच में लागू किया गया, जिससे लाखों मतदाताओं को दोबारा दस्तावेज जमा करने या विवरण सुधारने का मौका ही नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की प्रक्रिया शुरू करना पारदर्शिता के नियमों के खिलाफ है|

गौरतलब है कि चुनाव के दौरान कई विपक्षी दलों ने भी मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई थी—कहीं पूरे परिवार के नाम एक साथ हटाए गए, तो कहीं बूथों पर सैकड़ों मतदाता सूची से गायब पाए गए। हालांकि निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को गलत बताते हुए पूरी प्रक्रिया को मानक के अनुरूप बताया था।

दीपिका पांडेय सिंह के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन के समर्थक भी इस मुद्दे को लेकर आवाज उठा रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर वोट कटने से परिणाम प्रभावित होना स्वाभाविक है।
वहीं सत्ता पक्ष इन आरोपों को राजनीतिक हताशा बताते हुए खारिज कर रहा है।