स्टेट डेस्क, आर्या कुमारी |
पटना में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तनाव चरम पर है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है, जिससे गठबंधन टूटने की स्थिति में पहुंच गया है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी पहले ही अलग राह पकड़ चुकी है, वहीं झामुमो ने भी अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है।
पहले चरण के नामांकन के बाद भी महागठबंधन में सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है। घटक दलों के बीच विवाद इतना बढ़ गया है कि टूट की आशंका गहराती जा रही है। रालोजपा अलग हो चुकी है और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने छह सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
अगर झामुमो अपने रुख पर कायम रहता है, तो 20 से ज्यादा सीटों पर एनडीए के बजाय महागठबंधन के दल ही आमने-सामने होंगे। इधर, कांग्रेस में भी असंतोष खुलकर सामने आ गया है। पार्टी के दो पूर्व विधायक; गजानन शाही और बंटी चौधरी ने कांग्रेस के बिहार प्रभारी के. अल्लाबारू पर आरोप लगाया है कि उन्होंने "आलाकमान को अंधेरे में रखकर पैरवी वालों को टिकट दिया है।"
विवाद की शुरुआत बेगूसराय के बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा के बाद हुई। 2024 के चुनाव में यहां भाकपा दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि कांग्रेस तीसरे पर। इसके बावजूद कांग्रेस ने गरीब दास को टिकट दे दिया। भाकपा ने जवाब में कांग्रेस की सिटिंग सीट राजापाकर पर अपना उम्मीदवार उतार दिया। रोसड़ा में कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी, लेकिन भाकपा ने वहां और बिहारशरीफ में भी प्रत्याशी घोषित कर दिए। इसके बाद राजद ने भी कांग्रेस के हिस्से वाली वारसलीगंज, वैशाली और लालगंज सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए।
राजद अब कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान से घिरी सिकंदरा सीट पर भी दावा कर रहा है, जहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी उम्मीदवार हो सकते हैं। विवाद का असर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार की सीट कुटुंबा पर भी पड़ा है, जहां से पूर्व मंत्री सुरेश पासवान के राजद प्रत्याशी बनने की संभावना है।







