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मोतिहारी में जनरेटर तेल गबन का सनसनीखेज खुलासा: सिपाही पर FIR, बड़े रैकेट का पर्दाफाश

मोतिहारी ,पूर्वी चंपारण

जिले में पुलिस विभाग के भीतर एक बड़ा ईंधन गबन घोटाला सामने आया है, जिसने पूरे प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। पुलिस वाहनों और जनरेटरों के लिए आवंटित लाखों रुपये का तेल फर्जी हस्ताक्षर के माध्यम से हड़प लिया गया। यह गोरखधंधा पिछले साल 2024 से बेरोकटोक चल रहा था, लेकिन अब जाकर इस पर शिकंजा कसा गया है। मामले के खुलासे के बाद नगर थाने में सिपाही अमित कुमार (बकल नंबर 726) के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है, और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।
फर्जी हस्ताक्षर से करोड़ों का वारा-न्यारा
इस घोटाले में ASP सदर शिवम धाकड़ और SDPO 2 जितेश पाण्डेय जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया। आरोप है कि सिपाही अमित कुमार ने इन अधिकारियों के जाली दस्तखत कर सरकारी तेल को बाजार में बेच दिया या अपने निजी इस्तेमाल में ले लिया। यह कोई छोटा-मोटा मामला नहीं, बल्कि सरकारी पैसे का सुनियोजित तरीके से किया गया बड़ा घोटाला है।
पुलिस अधीक्षक की सक्रियता से हुआ खुलासा
यह सनसनीखेज मामला तब सामने आया जब जिले के पुलिस अधीक्षक को इस पूरे खेल पर संदेह हुआ। उनकी पैनी नजर और सक्रियता से ही इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो पाया। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर SDPO 2 जितेश पाण्डेय द्वारा तत्काल शिकायत दर्ज की गई और मामले की गहन जांच शुरू की गई। जांच के दौरान, यह चौंकाने वाला घोटाला खुलकर सामने आ गया, जिससे पुलिस विभाग की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जनता में भारी आक्रोश: बड़े रैकेट की आशंका
इस घटना से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। आम जनता ने पुलिस अधीक्षक से इस मामले की गहराई से जांच करने और सभी दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। लोगों का स्पष्ट कहना है कि यह केवल एक सिपाही का काम नहीं हो सकता, बल्कि इस बड़े घोटाले में पुलिस विभाग के कई अन्य कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हैं। वे चाहते हैं कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने वाले सभी दोषियों को बेनकाब कर सख्त से सख्त सजा दी जाए।
पुलिस प्रशासन ने सिपाही अमित कुमार की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी हैं और उम्मीद है कि जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा। इस मामले में आगे की जांच जारी है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिससे इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश हो सकेगा। क्या यह घोटाला सिर्फ पूर्वी चंपारण तक ही सीमित है या इसकी जड़ें कहीं और भी फैली हुई हैं, यह देखना बाकी है।