
मोतिहारी, एन.के. सिंह |
मोतिहारी साइबर पुलिस का 'डिजिटल अरेस्ट' गिरोह पर बड़ा प्रहार: 29 लाख से अधिक नकद, हथियार और लग्जरी गाड़ियां बरामद
मोतिहारी साइबर थाना ने एक विशाल और बेहद संगठित साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह दिन में स्कूल और रात में 'कोर्ट रूम' चलाकर डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लाखों की ठगी कर रहा था। पुलिस ने इस बड़ी कार्रवाई में 29 लाख से अधिक नकद राशि सहित भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है, जिसने जिले में चल रहे हवाला और साइबर अपराध के एक बड़े नेटवर्क को उजागर किया है। यह सफल अभियान 15 जून 2025 को साइबर थाना कांड संख्या 92/25 के तहत चलाया गया।
साइबर फ्रॉड का यह खेल चाँदमारी मोहल्ला के एक स्कूल से चलाया जा रहा था। एसपी स्वर्ण प्रभात के नेतृत्व में साइबर थाना अध्यक्ष अभिनव पाराशर और साइबर पुलिस ने इस गिरोह की कमर तोड़ दी है।
बरामदगी का जखीरा: काले धंधे की खुली पोल
पुलिस द्वारा की गई बरामदगी ने इस गिरोह के विशालकाय स्वरूप को सामने ला दिया है:
नकदी: \textbf{29,29,680} भारतीय मुद्रा और \textbf{99,500} नेपाली मुद्रा, जो इनके अंतरराष्ट्रीय संबंधों की ओर इशारा करती है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण: \textbf{24 मोबाइल फोन, 7 लैपटॉप} और \textbf{2 टैब}।
हथियार: चौंकाने वाली बात यह है कि गिरोह के पास से \textbf{2 देसी रिवाल्वर} और \textbf{13 जिंदा कारतूस} भी बरामद हुए हैं, जो इनकी आपराधिक मानसिकता की ओर संकेत करते हैं।
बैंकिंग उपकरण: \textbf{3 रुपये गिनने वाली मशीनें, 16 पासबुक, 49 एटीएम कार्ड} और \textbf{37 चेकबुक}।
संदिग्ध दस्तावेज: \textbf{SBI ढाका ब्रांच का एक स्टाम्प}, जिससे इनके तार बांग्लादेश तक फैले होने की संभावना है।
वाहन: \textbf{1 थार} और \textbf{1 ब्रेजा} चारपहिया वाहन के साथ-साथ \textbf{1 बुलेट मोटरसाइकिल} भी जब्त की गई है।
खुलासा करने वाली डायरी: एक डायरी, जिसमें गिरोह के दैनिक वित्तीय लेन-देन का विस्तृत ब्यौरा अंकित है, जो इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
गिरफ्तारियां: जाल में फंसे पांच सदस्य
इस मामले में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनकी पहचान इस प्रकार है:
सुमित सौरभ (26), पिता-सुजीव कुमार सिंह, निवासी-चाँदमारी, मोतिहारी
संजीव कुमार (24), पिता-चंद्र भूषण श्रीवास्तव, निवासी-थाना-रघुनाथपुर, मोतिहारी
पप्पु कुमार (24), पिता-स्वर्गीय नागेंद्र प्रसाद, निवासी-घोड़ा समेरा, मझौलिया, पश्चिमी चंपारण
सुनील कुमार श्रीवास्तव (49), पिता-स्वर्गीय शिवनाथ प्रसाद, निवासी-पो०-रघुनाथपुर, मोतिहारी
दिपांशु पाण्डेय (28), पिता-स्वर्गीय मनोज कुमार पाण्डेय, निवासी-राजा बाजार, मुफस्सिल, मोतिहारी
'BOSS' कोड और क्रिप्टो का खेल: ऐसे होता था काले धन को सफेद
यह गिरोह अत्यंत शातिर और संगठित तरीके से काम करता था। इनकी कार्यप्रणाली जानकर पुलिस भी हैरान है:
गिरोह के कुछ सदस्य विभिन्न राज्यों से साइबर धोखाधड़ी के जरिए मोटा पैसा कमाते थे।
इस 'काले धन' को वे मोतिहारी जिले के भोले-भाले नवयुवकों को 'कमीशन' का लालच देकर उनके बैंक खातों में मंगाते थे, खासकर चाँदमारी ब्रांच के एसबीआई खातों का इस्तेमाल करते थे।
पैसा खातों में आने के बाद, गिरोह के अन्य सदस्य चालाकी से बैंक के माध्यम से नकदी निकलवा लेते थे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस अवैध नकदी को वे सीधे तौर पर खर्च नहीं करते थे, बल्कि इसे विभिन्न माध्यमों से यूएसडीटी (टीथर) और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर काले धन को सफेद करते थे। यह तरीका उन्हें कानून की नजरों से बचने में मदद करता था।
इस गिरोह का मास्टरमाइंड रघुनाथपुर थाना क्षेत्र का निवासी सत्यम सौरभ (पिता-सुनील कुमार श्रीवास्तव) बताया जा रहा है। सत्यम अपने दोस्तों आयुष, यश और अंश के साथ मिलकर इस पूरे गोरखधंधे को अंजाम देता था।
'BOSS' का रहस्य: वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर से जुड़ी गिरोह की गुप्त पहचान
गिरोह की एक और दिलचस्प पहचान थी उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर 8055। इस नंबर को वे डिजिटली "BOSS" के रूप में इस्तेमाल करते थे, जो उनके आपराधिक नेटवर्क की एक गुप्त पहचान थी।
मोतिहारी पुलिस अब इस गिरोह के मास्टरमाइंड सत्यम सौरभ और उसके साथी आयुष, यश व अंश की तलाश में तेजी से जुटी हुई है। उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर इस बड़े साइबर नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया जाएगा।