याचिका दायर: सोनिया गांधी 1983 में नागरिक बनीं, फिर 1980 वोटर लिस्ट में नाम कैसे?

राष्ट्रीय डेस्क, आर्या कुमारी |
याचिका दायर: सोनिया गांधी 1983 में नागरिक बनीं, फिर 1980 में वोटर लिस्ट में नाम कैसे जुड़ा?
कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सोनिया गांधी के विरुद्ध अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक याचिका प्रस्तुत की गई है। इस अर्जी में उनके मतदाता सूची में नाम दर्ज करने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से पुलिस जांच के आदेश देने का अनुरोध किया है।
मंगलवार को कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की मांग करते हुए यह याचिका दाखिल की गई। अर्जी में यह आरोप लगाया गया है कि उनका नाम भारतीय नागरिकता मिलने से तीन वर्ष पूर्व ही वोटर लिस्ट में सम्मिलित कर दिया गया था। यह याचिका अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया की अदालत में धारा 175 (4) (जांच का आदेश देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति) के अंतर्गत दायर की गई है। इसमें पुलिस को इस मामले की जांच का निर्देश देने की अपील की गई है कि सोनिया गांधी को 1983 में भारतीय नागरिकता मिली, परंतु उनका नाम 1980 की वोटर लिस्ट में मौजूद था।
वकील का तर्क
शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने न्यायालय में तर्क दिया कि विभिन्न दस्तावेजों के आधार पर यह साफ है कि सोनिया गांधी को 30 अप्रैल, 1983 को भारत की नागरिकता प्राप्त हुई थी। उन्होंने बताया कि उनका नाम 1980 में नई दिल्ली चुनाव क्षेत्र की वोटर लिस्ट में दर्ज था, जो 1982 में हटा दिया गया था। 1983 में भारतीय नागरिकता हासिल करने के पश्चात इसे पुनः शामिल किया गया। नारंग ने कहा कि नाम हटाने का कारण कहीं नहीं मिलता। इसके दो कारण हो सकते हैं। या तो कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश की नागरिकता ले ले या फॉर्म 8 (ब्यौरे में सुधार के लिए आवेदन) दाखिल करे। लेकिन, इसके लिए जरूरी शर्त यह है कि वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो। उन्होंने सवाल उठाया कि 1980 में जब उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज किया गया था, तब चुनाव आयोग को कौन से दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे? उन्होंने दावा किया कि इसमें कुछ जालसाजी हुई है और एक सार्वजनिक प्राधिकरण के साथ धोखा हुआ है।
अदालती कार्यवाही
नारंग ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि पुलिस को उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। धाराएं बनती हैं या नहीं, यह पुलिस का अधिकार क्षेत्र है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस दरम्यान स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पुलिस को नोटिस भेजा जा सकता है। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर के लिए निर्धारित कर दी है।