
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
युद्धविराम के बाद यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर पेरिस में बैठक, 26 देश सैनिक भेजने को तैयार
यूक्रेन में जारी युद्ध और संभावित युद्धविराम की तैयारियों के बीच गुरुवार को पेरिस में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, यूरोपीय नेताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकोफ ने भाग लिया। बैठक में युद्धग्रस्त यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी और युद्धविराम की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा हुई।
26 देश सैनिक भेजने को तैयार
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बैठक के बाद घोषणा की कि युद्धविराम होने के बाद यूक्रेन की सुरक्षा के लिए 26 देश अंतरराष्ट्रीय बल में शामिल होकर सैनिक भेजने के लिए तैयार हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस ने यूक्रेन पर ड्रोन हमलों की नई लहर शुरू की है।
रूस का 112 ड्रोन हमला
बैठक के समानांतर, रूस ने बीती रात यूक्रेन में 112 ड्रोन से हमला किया। यूक्रेनी वायुसेना का दावा है कि इनमें से 84 ड्रोन को मार गिराया गया, लेकिन शेष हमलों से कई इलाकों में नुकसान हुआ। यह घटनाक्रम दिखाता है कि जमीनी स्थिति अभी भी बेहद अस्थिर है।
ट्रंप के विशेष दूत की भूमिका
यूक्रेनी राष्ट्रपति के प्रेस सचिव सेरही निकीफोरोव ने बताया कि जेलेंस्की और स्टीव विटकोफ के बीच अलग से मुलाकात भी हुई। विटकोफ ने युद्धविराम के बाद की स्थिति में सैन्य और आर्थिक समर्थन की योजनाओं पर चर्चा की और यूरोपीय नेताओं के साथ एक रोडमैप तैयार करने की कोशिश की।
अमेरिका के समर्थन की अहमियत
बैठक में मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने साफ किया कि यूक्रेन में किसी भी यूरोपीय सैन्य बल की मौजूदगी तभी संभव होगी जब उसे अमेरिका का समर्थन मिलेगा। वहीं जर्मनी ने यूक्रेनी सैनिकों की ट्रेनिंग और फंडिंग बढ़ाने पर सहमति जताई है।
ट्रंप का तेल पर बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय देशों से रूस से तेल खरीदना बंद करने की अपील की। उनके मुताबिक, इससे मास्को को यूक्रेन युद्ध के लिए धन जुटाने में मदद मिल रही है। हालांकि ट्रंप ने दोहराया कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ट्रंप–पुतिन वार्ता और आगे की राह
गौरतलब है कि पिछले महीने अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक हुई थी। हालांकि अब तक युद्धविराम की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पेरिस बैठक से अंतरराष्ट्रीय सहयोग का संकेत मिला है, लेकिन असली चुनौती रूस को युद्धविराम पर सहमत करना होगी।
पेरिस में हुई इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि यूरोप और अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर एक साझा रणनीति बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। 26 देशों की भागीदारी इस बात का संकेत है कि युद्धविराम के बाद भी यूक्रेन को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। हालांकि, रूस के हमले और पुतिन की अनिश्चित नीति इस प्रक्रिया को कठिन बना सकती है।