
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
यूक्रेन ने भारत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ चल रही जंग में भारत में निर्मित कल-पुर्जों का उपयोग कर रहा है। यूक्रेनी खुफिया एजेंसियों और रक्षा विश्लेषकों का दावा है कि रूस को जिन सैन्य उपकरणों की आपूर्ति हो रही है, उनमें कई महत्वपूर्ण कल-पुर्जे भारतीय स्रोतों से प्राप्त हुए हैं। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बनता जा रहा है।
यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने इस मामले को लेकर भारत से औपचारिक जवाब मांगा है और यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या भारत से रूस को निर्यात किए जा रहे उपकरण किसी प्रकार के सैन्य उपयोग में आने वाले हैं।
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध के दौरान जब्त किए गए कुछ रूसी मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हथियारों में ऐसे कल-पुर्जे पाए गए हैं जिन पर "मेड इन इंडिया" का निशान मौजूद है। यह दावा किया जा रहा है कि ये पुर्जे रूस को निर्यात किए गए और फिर उनका उपयोग यूक्रेन पर हमला करने में किया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनमें से कई पुर्जे दोहरे उपयोग वाले हैं, जिन्हें नागरिक एवं सैन्य दोनों क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि भारत अपने निर्यात नियमों और वैश्विक प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह पालन करता है। भारत की नीति किसी भी संघर्ष क्षेत्र में सैन्य उपकरणों की आपूर्ति से बचने की रही है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा:
इस मामले को लेकर पश्चिमी देशों में भी हलचल देखी जा रही है। अमेरिकी और यूरोपीय एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या रूस पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद वह भारत जैसे देशों से कल-पुर्जे या अन्य तकनीकी सामग्री प्राप्त कर पा रहा है।
ब्रिटेन के एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, "अगर यह आरोप सही साबित होता है, तो यह रूस पर लगाए गए वैश्विक प्रतिबंधों को दरकिनार करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।"
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का रक्षा और तकनीकी क्षेत्र कई देशों को कल-पुर्जों की आपूर्ति करता है, लेकिन रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक रक्षा संबंधों को देखते हुए यह मुद्दा संवेदनशील बन जाता है। भारत और रूस के बीच कई परियोजनाएं पहले से ही जारी हैं, जिनमें ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई विमान और अन्य रक्षा तकनीक शामिल हैं।
हालांकि भारत ने यूक्रेन युद्ध में अब तक तटस्थ रुख अपनाया है और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया है।
यूक्रेन का यह आरोप भारत के लिए कूटनीतिक स्तर पर एक चुनौती बन सकता है। अगर यह साबित होता है कि भारत में बने कल-पुर्जों का उपयोग रूस द्वारा युद्ध में किया जा रहा है, तो भारत की वैश्विक छवि, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में उसकी तटस्थता और जिम्मेदारी पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो सकता है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय दबाव की दिशा, स्थिति को और स्पष्ट करेगी।