
यूक्रेन, ऋषि राज |
यूक्रेन ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने रूस से 1,212 मृत सैनिकों के शव प्राप्त किए हैं, जो देश के विभिन्न संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में मारे गए थे। यह वापसी दोनों देशों के बीच हुए एक मानवीय समझौते के तहत हुई है, जिसमें रेड क्रॉस और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मध्यस्थता भी शामिल थी।
यूक्रेन के समन्वय कार्यालय के अनुसार, शवों को अब फोरेंसिक विशेषज्ञों के हवाले किया गया है, जो डीएनए परीक्षण और अन्य वैज्ञानिक तरीकों के माध्यम से मृतकों की पहचान सुनिश्चित करेंगे। इसके बाद शवों को उनके परिवारों को सौंपा जाएगा ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें।
इन 1,212 सैनिकों के शव ज़्यादातर यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों — डोनेट्स्क, लुहांस्क, खार्किव, ज़ापोरिज्जिया और खेरसॉन क्षेत्रों से लाए गए हैं, जहां हाल के महीनों में भारी लड़ाई हुई थी। इनमें से कई सैनिक लंबे समय से लापता थे और परिवार उन्हें ढूंढने की उम्मीद छोड़ चुके थे।
सरकार और सेना की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने इस वापसी को “न केवल सैन्य, बल्कि नैतिक जीत” बताया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इसे "युद्ध के बीच मानवता की एक किरण" बताते हुए कहा कि,
"हम हर यूक्रेनी सैनिक की जान की कीमत समझते हैं। हम उन्हें कभी नहीं भूल सकते और न ही भूलेंगे।”
परिवारों के लिए उम्मीद की लौ
शवों की वापसी ने उन सैकड़ों परिवारों को थोड़ी राहत दी है, जो महीनों से अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी पाने को तरस रहे थे। कीव की एक महिला, नतालिया रिबचुक, जिनके पति 2023 में मोर्चे पर लापता हो गए थे, ने कहा:
"अब कम से कम हम उन्हें सम्मानपूर्वक विदाई दे पाएंगे।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस ने इस मानवीय प्रयास का स्वागत किया है। उन्होंने दोनों पक्षों से आग्रह किया है कि युद्ध के बीच मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित किया जाए और लापता लोगों की तलाश जारी रखी जाए।
यह घटनाक्रम यूक्रेन-रूस युद्ध के एक गहरे मानवीय पहलू को उजागर करता है, जहां युद्धभूमि पर झंडों के परे इंसानी जिंदगियों की अहमियत सामने आती है। शवों की वापसी न सिर्फ परिवारों के लिए closure लाती है, बल्कि यह युद्ध में भी मानवता की जगह को दर्शाता है।